प्रदेश के 70 से 80 फीसद चारागाहों पर अवैध कब्जे, कहां जाएं मवेशी
पंचायतों और राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से या तो इन पर मकान बन गए हैं या खेती होती है। चारागाह क्या अतिक्रमण करने वालों ने तो चकरोडों तक को खत्म कर दि ...और पढ़ें

लखनऊ [गिरीश पांडेय]। यह विडंबना ही है कि प्रदेश में पशुपालन के लिए तमाम योजनाएं तो शुरू हुईं लेकिन, चारागाह लुप्त होते गए। पहले जहां हर गांव में एक चारागाह अनिवार्य था, वहीं अब ये सिर्फ कागजों में रह गए हैं। पंचायतों और राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से या तो इन पर मकान बन गए हैं या खेती होती है। चारागाह क्या अतिक्रमण करने वालों ने तो चकरोडों तक को खत्म कर दिया है।
चारागाहों के हालात कितने बदतर हैं इसके सबूत सरकारी आंकड़े हैं। राजस्व विभाग द्वारा गोसेवा आयोग को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की करीब 58000 ग्राम पंचायतों में चारागाह हैं। किसी-किसी गांव में तो दो-दो चारागाहों को दर्शाया गया है। वैसे तो इनका कुल रकबा 95140 हेक्टयर है लेकिन, अब एक चौथाई भी नहीं रह गया है। विभाग के अनुसार 70-80 फीसद चारागाहों पर अवैध कब्जे हैं। ऐसे में जब चारागाह ही नहीं तो पशु स्वाभाविक है आस-पास के खेतों का ही रुख करेंगे और किसानों का दुश्मन बनेंगे।
गौरतलब है कि उप्र में पशुओं की संख्या पूरे देश में सर्वाधिक है। कुपोषण के नाते इनमें से अधिकांश की उत्पादकता देश के अन्य प्रदेशों से कम है। विशेषज्ञों के मुताबिक पशुओं में कुपोषण और बांझपन की प्रमुख वजह इनको संतुलित आहार न मिलना है। भरपूर रकबे के चारागाह कुछ हद तक इसकी भरपाई कर सकते हैं। मानक के अनुसार जमीन के कुल रकबे का 12-16 फीसद चारागाह होना चाहिए, लेकिन जिस प्रदेश में 70-80 फीसद चारागाहों पर अवैध कब्जे हों, वहां यह सोचना भी संभव नहीं।
चिह्नित होंगे चारागाह
गोसेवा आयोग की पिछली बैठकों में यह अपेक्षा की गई कि राजस्व विभाग की ओर से मुख्य सचिव या मुख्यमंत्री कार्यालय से जिलाधिकारियों को चारागाहों की भूमि चिह्नित कर उनको अवैध कब्जे से मुक्त कराने का निर्देश भेजा जाये। मुक्त भूमि की सूचना पशुधन विभाग को दी जाये ताकि वह चारागाह, पशु संरक्षण केंद्र या अन्य किसी रूप में पशुधन के व्यापक हित में इनका उपयोग कर सके। इस काम में मनरेगा की भी मदद ली जा सकती है।
दिसंबर से तेज होगा एंटी भूमाफिया अभियान
जमीनों से अवैध कब्जे हटाने के लिए सरकार अभियान चला रही है। अब तक 43 हजार हेक्टेअर से अधिक भूमि से कब्जे हटाए जा चुके हैं। सरकार ने अवैध कब्जों के करीब एक लाख 53 हजार मामलों की पहचान की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर दिसंबर से इस अभियान को और तेज एवं प्रभावी रूप में चलाया जाएगा। इस दौरान कब्जे से मुक्त भूमि के बड़े टुकड़ों पर चारागाह, पशुओं के नस्ल सुधार के लिए शोध केंद्र खोले जाएंगे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।