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    उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती रद्द, इलाहाबाद HC की लखनऊ बेंच ने मेरिट लिस्ट फिर से बनाने का दिया आदेश

    Updated: Fri, 16 Aug 2024 11:27 PM (IST)

    इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 की 1 जून 2020 को जारी चयन सूची व 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को दरकिनार कर नए सिरे से चयन सूची बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि नयी चयन सूची बनाते समय यदि वर्तमान में कार्यरत किसी सहायक शिक्षक पर विपरीत असर पड़ता है तो मौजूदा सत्र का लाभ दिया जाए।

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    कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।

    विधि संवाददाता, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षक भर्ती-2019 में चयनित 69 हजार अभ्यर्थियों की सूची को रद्द कर नई सूची बनाने का निर्देश दिया है। सरकार व अन्य संबंधितों को आदेश दिया गया है कि तीन माह में नई सूची जारी कर दी जाए। 

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    कोर्ट ने कहा है कि नई चयन सूची बनाते समय यदि वर्तमान में कार्यरत किसी सहायक शिक्षक पर विपरीत असर पड़ता है तो मौजूदा सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो। 

    इसके साथ ही, कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की सूची खारिज करने के एकल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। 69 हजार अभ्यर्थियों की चयन सूची एक जून 2020 को जारी हुई थी, जबकि 6800 अभ्यर्थियों की सूची पांच जनवरी 2022 को जारी हुई थी।

    यह निर्णय न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की दो सदस्यीय पीठ ने महेंद्र पाल व अन्य द्वारा एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल 90 विशेष अपीलों को एक साथ निस्तारित करते हुए पारित किया है। 

    13 अगस्त को सुनाया था फैसला

    कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर अपना फैसला 13 अगस्त को ही सुना दिया था, किंतु उसकी कॉपी कोर्ट की वेबसाइट पर शुक्रवार को उपलब्ध हुई। कोर्ट ने इस संबंध में 13 मार्च 2023 के एकल पीठ के आदेश को संशोधित करते हुए यह भी निर्णय दिया है कि सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट में आने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में ही माइग्रेट किया जाएगा।

    विशेष अपीलों में एकल पीठ के 13 मार्च 2023 के निर्णय को चुनौती दी गई थी। इसमें एकल पीठ ने 69 हजार अभ्यर्थियों की चयन सूची पर पुनर्विचार करने के साथ-साथ 6800 अभ्यर्थियों की पांच जनवरी 2022 की चयन सूची को खारिज कर दिया था। 

    एकल पीठ ने अपने निर्णय में कहा था कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में आरक्षण का लाभ लेने वाले अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी का कट ऑफ मार्क्स पाने पर अनारक्षित वर्ग में रखा जाना सही है। 

    टीईटी अभ्यर्थी को सिर्फ सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में भाग लेने के लिए अर्ह बनाता है। हालांकि, एकल पीठ ने यह भी कहा था कि सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में जिन अभ्यर्थियों ने आरक्षण का लाभ लिया है, उन्हें अनारक्षित श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

    अपने फैसले में दो सदस्यीय पीठ ने कहा है कि सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट के मार्क्स लाने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में ही माइग्रेट किया जाए। निर्देशों के अनुसार ऊर्ध्वाधर आरक्षण के साथ क्षैतिज आरक्षण भी दिया जाए। सर्विस रूल्स 1981 के नियम 14 के तहत नई चयन सूची बनाने में आरक्षण नियमों का पूरी तरह पालन किया जाए।

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