ऊर्जा मंत्री की शिकायतों पर बिजली विभाग बेखबर, 55 प्रतिशत शिकायतों का निस्तारण नहीं
ऊर्जा मंत्री द्वारा भेजी गई 55% बिजली संबंधी शिकायतों का निस्तारण लंबित है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आंकड़ों के हवाले से लापरवाही उजागर की है। ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बिजली महकमे के अधिकारी ऊर्जा मंत्री की भी कम ही सुनते हैं। मंत्री द्वारा 30 सितंबर तक अधिकारियों के पास भेजी गई बिजली से संबंधित शिकायतों में से चार अक्टूबर तक 55 प्रतिशत का निस्तारण नहीं किया गया था।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आंकड़ों के हवाले से ऊर्जा मंत्री द्वारा अधिकारियों को भेजे गए शिकायती पत्रों के निस्तारण में की जा रही लापरवाही को उजागर किया है।
परिषद ने बताया है कि 30 सितंबर तक ऊर्जा मंत्री द्वारा कुल 7585 शिकायतें बिजली कंपनियों के अधिकारियोंं को भेजी गई थीं, जिनमें से चार अक्टूबर तक कुल 3406 शिकायतों का निस्तारण किया गया था, 4179 शिकायतें लंबित थीं।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि जब ऊर्जा मंत्री द्वारा भेजी गई शिकायतों में से सिर्फ 45 प्रतिशत शिकायतें ही निस्तारित की गईं तो आम उपभोक्ताओं की शिकायतों के निस्तारण की क्या गति होगी इसे समझा जा सकता है।
ऊर्जा मंत्री को शिकायतें भेजने वालों में सांसद, विधायक के साथ ही आम उपभोक्ता भी शामिल हैं। ऐसे में उनके द्वारा भेजी गईं 55 प्रतिशत शिकायतों का निस्तारण नहीं होना चिंता का विषय है।ऊर्जा विभाग की वर्टिकल व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा है कि कई शहरों में लागू की गई इस व्यवस्था से आम जनता से लेकर जनप्रतिनिधि तक असंतुष्ट हैं। इसके बाद भी बिना समीक्षा किए इस व्यवस्था को आगे बढ़ाया जा रहा है।
वर्टिकल व्यवस्था लागू करने वाले ऊर्जा प्रबंधन को अगले पांच वर्षों तक इसी विभाग में रखा जाना चाहिए और उनकी जवाबदेही तय करनी चाहिए, जिसमें वर्टिकल व्यवस्था फेल होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
उन्होंने कहा है कि वर्टिकल व्यवस्था लागू होने के बाद उपभोक्ताओं के पास शिकायत दर्ज कराने के लिए केवल 1912 हेल्पलाइन नंबर का ही विकल्प रहेगा। अब बिजली कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर हेल्प डेस्क स्थापित करने की बातें कही जा रही हैं।
मांग की है कि हेल्प डेस्क द्वारा उपभोक्ताओं की समस्याओं का वास्तविक समाधान किया जाना चाहिए। ऊर्जा विभाग वर्टिकल व्यवस्था की फिर से समीक्षा करे। उपभोक्ता हित में अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। शिकायतों के निस्तारण की आडिट कराए जाने की मांग भी की है।

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