बुढ़ापे के दुश्मन हैं ये थ्री डी
लखनऊ : वृद्धावस्था में स्वास्थ्य को तीन डी प्रभावित करते हैं, यह हैं डिप्रेशन, डिस्एबिलिटी और डिमेंश
लखनऊ : वृद्धावस्था में स्वास्थ्य को तीन डी प्रभावित करते हैं, यह हैं डिप्रेशन, डिस्एबिलिटी और डिमेंशिया। वृद्धावस्था में अधिकतर लोग अवसाद, शारीरिक अपंगता और भूलने की बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। वृद्धावस्था में लोगों को सामाजिक तौर पर ज्यादा सक्रिय रहना चाहिए, जिससे वह सामाजिक रूप से सुरक्षा महसूस कर सकें। यह जानकारी इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ.निमेष देसाई ने दी।
डॉ.निमेष केजीएमयू के वृद्धावस्था मानसिक रोग विभाग के 11वें स्थापना दिवस पर बोल रहे थे। कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो.रविकांत ने किया। डॉ.निमेष ने बताया कि आज के समय में पांच प्रतिशत वृद्ध अवसाद से ग्रसित हैं। वहीं 75 से कम आयु के 20 प्रतिशत लोग और इससे ऊपर की आयु के लगभग 30 फीसद लोग अवसाद से ग्रसित हैं।
वृद्ध जनसंख्या के लिए हमारी तैयारी नहीं
डॉ.निमेष ने बताया कि हमें इस बात पर गर्व है कि हम दुनिया के सबसे युवा जनसंख्या के वाले देश हैं, लेकिन हम यह नहीं जानते हैं कि आगामी बीस से तीस साल में यह युवा जनसंख्या वृद्ध में तब्दील हो जाएगी। इसके लिए हमारी कोई भी तैयारी नहीं है। हमारे यहां वृद्धों के लिए सुविधा और स्वास्थ्य के नाम पर दो प्रतिशत भी संसाधन नहीं हैं।
स्वास्थ्य के साथ आर्थिक मजबूती भी हो
डॉ.निमेष ने बताया कि आजकल छोटे परिवार होने लगे हैं जिसकी वजह से वृद्धों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। वहीं वृद्धावस्था में परिवार के किसी सदस्य पर आर्थिक रूप से निर्भर होने के बजाय आत्मनिर्भर होना जरूरी है।
अभी से करें वृद्धावस्था की चिंता
डॉ.निमेष ने बताया कि वृद्धावस्था में जाकर स्वास्थ्य के लिए जागने से अच्छा है कि युवावस्था में ही स्वास्थ्य का ख्याल रखना शुरू कर दें। इसके लिए नियमित व्यायाम और योग अच्छा है।
ओल्ड एज होम और ग्रुप होम को मिले बढ़ावा
डॉ.निमेष ने बताया कि हमें अपने घर में बुजुर्गो को ज्यादा सामाजिक रूप से सक्रिय करना चाहिए। महफिल में भी शामिल करना चाहिए साथ ही सरकार को ओल्ड एज होम और ग्रुप होम्स भी बनाने चाहिए। इससे बुजुर्गो के रहने और स्वास्थ्य का ध्यान भी रखा जा सकेगा।
वृद्धजनों के स्वास्थ्य पर चल रहा है शोध
विभागाध्यक्ष और सीएमएस डॉ.एससी तिवारी ने बताया कि केजीएमयू में सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च ट्रेनिंग एंड सर्विसेज इन एजिंग एंड जीरयाट्रिक मेंटल हेल्थ (कार्ट्स) में अब तक 45 वर्ष और उससे ऊपर के 746 वृद्धजनों की पहचान, पंजीकरण और शोध पूरा हो गया है। वहीं वृद्धजनों में होने वाली मानसिक बीमारियों को प्रथम चरण में ही पहचानने और इलाज के लिए उपयुक्त चिकित्सा केंद्रों पर रेफर किया जा रहा है। कार्यक्रम में डीन फैकल्टी ऑफ मेडिसिन प्रो.मस्तान सिंह, डेंटल डीन प्रो.एपी टिक्कू आदि मौजूद रहे।
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