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    उत्तर प्रदेश में दो वर्षों में बढ़ा 127 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र, वन विभाग ने जारी किए आंकड़े

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 03 Jan 2020 06:32 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में अब कुल वनावरण 14805.65 वर्ग किलोमीटर हो गया है। वर्ष 2017 में प्रदेश में 14679 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र था।

    उत्तर प्रदेश में दो वर्षों में बढ़ा 127 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र, वन विभाग ने जारी किए आंकड़े

    लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में दो वर्षों में 127 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ गया है। अब प्रदेश में कुल वनावरण 14805.65 वर्ग किलोमीटर हो गया है। वर्ष 2017 में प्रदेश में 14,679 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र था। वन विभाग ने भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की रिपोर्ट के अनुसार यूपी से जुड़े आंकड़े जारी कर दिए। 

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    मुख्य वन संरक्षक प्रचार-प्रसार मुकेश कुमार ने बताया कि भारतीय वन सर्वेक्षण देहारादून ने हाल ही में स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 जारी की है। इसमें वर्ष 2017 तक के आंकड़े लिए गए हैं। इससे पहले वर्ष 2017 में जो रिपार्ट आई थी उसमें वर्ष 2015 तक के आंकड़े लिए गए थे। ऐसे में प्रदेश में वर्ष 2015 से 2017 के बीच कुल 126.65 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि 0.87 फीसद की है।

    रिपोर्ट के अनुसार सघन वन क्षेत्र 2616.43 वर्ग किलोमीटर, घना वन क्षेत्र 4080.04 वर्ग किलोमीटर व खुला वन क्षेत्र 8109.18 वर्ग किलोमीटर का हो गया है। वर्ष 2017 की रिपोर्ट से यदि तुलना की जाए तो सघन वन क्षेत्र में 0.57 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है। घने वन क्षेत्र में 11.04 वर्ग किलोमीटर व खुले वन में 116.18 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ है।

    वृक्षावरण में आई 100 वर्ग किलोमीटर की कमी

    स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार प्रदेश में वन क्षेत्र के बाहर वृक्षावरण (ट्री कवर) में 100 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज की गई है। इस समय वृक्षावरण 7342 वर्ग किलोमीटर है, जबकि 2017 की रिपोर्ट में यह 7442 वर्ग किलोमीटर था। मुख्य वन संरक्षक प्रचार-प्रसार मुकेश कुमार ने बताया वन क्षेत्रों के बाहर 100 वर्ग किलोमीटर की वृक्षावरण में कमी का अध्ययन किया जा रहा है। यह किसानों की निजी भूमि पर हुआ है। उन्होंने बताया कि भारतीय वन सर्वेक्षण की अपनी सीमाएं हैं। इसकी सेटेलाइट इमेज में एक हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल नहीं आ पाता है। इसमें तीन वर्ष से कम आयु के पौधे व पत्ती विहीन पौधे भी नहीं आ पाते हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून से भी जानकारी ली जा रही है।