कोर्ट ने कहा-बच्चा निशा का ही है
बाराबंकी निवासी महिला व बच्चे की डीएनए रिपोर्ट कोर्ट में पेश
जयपुर निवासी दंपती को बच्चा गोद दिए जाने के मामले में कोर्ट सख्त
श्रीराम औद्योगिक अनाथालय की अधीक्षिका को लगाई फटकार
27 को तलब कर मांगा स्पष्टीकरण
विधि संवाददाता, लखनऊ : आनन- फानन में नवजात को बाराबंकी से लखनऊ लाकर जयपुर निवासी दंपती को गोद दिए जाने के मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। इस मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अलीगंज स्थित श्रीराम औद्योगिक अनाथालय की अधीक्षिका रुचि त्रिपाठी को फटकार लगाई है। वहीं पूर्व में दिए गए आदेश के तहत कराए गए डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने कहा कि परीक्षण से स्पष्ट होता है कि बच्चा निशा का ही है।
न्यायमूर्ति विष्णु चंद्र गुप्ता की एकल पीठ ने अनाथालय की अधीक्षिका रुचि त्रिपाठी को 27 मई को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। कोर्ट ने अधीक्षिका से यह स्पष्ट करने को कहा है कि उन्होंने अदालत के समक्ष गलत बयान क्यों दिए। पीठ ने कहा कि अदालत के समक्ष झूठा बयान देने के आरोप में क्यों न उनको दंडित किया जाए तथा कानूनी मुकदमे की प्रक्रिया चलाई जाए। पीठ ने यह भी कहा है कि डीएनए टेस्ट में खर्च हुए 25400 रुपये की वसूली भी क्यों न अधीक्षिका से कराई जाए। पीठ ने बच्चे को गोद लेने वाले दंपती को भी नोटिस जारी कर आगामी 27 मई को हाजिर होने को कहा है। अदालत ने कहा है कि क्यों न उनके गोद लेने की कार्रवाई को ही रद कर दिया जाए।
विदित हो कि बाराबंकी की निशा ने याचिका प्रस्तुत कर अदालत से कहा कि उसने एक बच्चे को जन्म दिया। जब वह होश में नहीं थी तभी स्थानीय पुलिस की मदद से लखनऊ के अलीगंज में श्रीराम औद्योगिक अनाथालय चलाने वाली अधीक्षिका ने उससे बच्चा अपने कब्जे में ले लिया। बच्चे का इलाज कराने के नाम पर लखनऊ स्थित अनाथालय लाकर आनन-फानन में बच्चे को जयपुर के दंपती सतेंद्र सोनी व मीनाक्षी सोनी को गोद दे दिया। जब याची निशा ने हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर बच्चा वापस देने की गुहार लगाई तो अधीक्षिका ने गलत बयान देकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। पीठ ने गत 8 अप्रैल को (पिछली सुनवाई पर) बच्चे व निशा के खून के नमूने लेकर पीजीआइ में डीएनए टेस्ट कराए जाने के आदेश दिए। डीएनए रिपोर्ट टेस्ट से स्पष्ट हुआ कि बच्चा याची निशा का ही है।
इनसेट
मेरी औलाद मुझे दिलाइए
'जज साहब मेरी औलाद मुझे दिलाइए' कहते हुए डीएनए जांच का हवाला देकर बेबी सिद्धार्थ की मां निशा ने उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ में गुहार लगाई थी। अदालत ने 27 मई को अधीक्षिका व दंपती को अदालत में तलब किया है। नियत तिथि पर अदालत तय करेगी कि बच्चा मां को मिलेगा या नहीं।
बाराबंकी की मां निशा ने 31 जनवरी 2013 को हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर मांग की थी जयपुर के गोद लेने वाले दंपत्तियों से उसका दुधमुंहा बच्चा वापस लिया जाए। प्रकरण की गंभीरता को देखकर अदालत ने 22 मार्च 2013 को बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश दिया। सरकारी खर्च पर एसजीपीजीआइ में मेडिकल जेनिटेक्स विभाग में दोनों के नमूने लिए गए।
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