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    करोड़ों का गबन कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर बन बैठा भगोड़ा अफसर, खुलासा होने पर दंग रह गए अधिकारी

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 05:17 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के ललितपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। करोड़ों के गबन का भगोड़ा अफसर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर बन कर बैठा था। इस बात का खुलासा ...और पढ़ें

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    ललितपुर: कथित डॉ. राजीव गुप्ता का फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, ललितपुर। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में एक ऐसे सनसनीखेज फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, जिसने मेडिकल कॉलिज प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के होश फाख्ता कर दिए हैं।

    कस्टम विभाग में करोड़ों के गबन मामले में सजायाफ्ता एक भगोड़ा अपनी पहचान बदलकर न सिर्फ एक डॉक्टर बन बैठा, बल्कि तीन साल से उत्तर प्रदेश के स्वायत्तशासी राज्य मेडिकल कॉलेज ललितपुर की सबसे संवेदनशील कार्डियक केयर यूनिट (सीसीयू) का इंचार्ज बनकर गंभीर हृदय रोगियों की जान से खिलवाड़ कर रहा था।

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    यह चौंकाने वाला भेद तब खुला जब इस शख्स की अपनी बहन सोनाली सिंह ने जिला प्रशासन के साथ ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को लिखित शिकायत दी।

    जांच शुरू होते हीए डॉ. राजीव गुप्ता के नाम से सेवाएं दे रहा यह मुन्ना भाई पोल खुलने के डर से अपनी जिंदा मां को मृत बताकर दो लाइन का इस्तीफा सौंपकर फरार हो गया। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीमें अब इस फर्जी डॉक्टर की सरगर्मी से तलाश कर रही हैं।

    दो दशक तक फरार, फर्जी डिग्री से डॉक्टर बना

    विभागीय अफसरों की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि मेडिकल कॉलिज में डॉ. राजीव गुप्ता बनकर बैठा यह शख्स असल में अभिनव सिंह है। अभिनव सिंह कस्टम विभाग में कार्यरत था और 1999 में करोड़ों के गबन के आरोप में सीबीआई ने उसके खिलाफ केस दर्ज किया था। केस दर्ज होने के बाद वह करीब 20 साल तक फरार रहा और सीबीआई ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था।

    गिरफ्तारी से बचने को बदली पहचान

    गिरफ्तारी से बचने के लिए अभिनव सिंह ने अपनी पहचान बदल ली। उसने अपना नाम डॉ. राजीव गुप्ता रखा और फर्जी डिग्री के सहारे डॉक्टर बन गया। इतना ही नहीं, उसने अपने बच्चों के भी सरनेम बदलवा दिए।

    मथुरा में बन बैठा एसोसिएट प्रोफेसर

    कस्टम अधिकारी होने के बावजूद वह फर्जी डिग्री के आधार पर मथुरा के केडी मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर (इंटरनल मेडिसिन) के तौर पर एमबीबीएस छात्रों को पढ़ा रहा था।

    सीबीआई ने पकड़ा, सजा काट आया

    करीब दो दशक बाद, मार्च 2019 में सीबीआई ने खुफिया सूचना पर उसे मथुरा से गिरफ्तार किया। जुलाई 2020 में मुम्बई की सीबीआई विशेष अदालत ने उसे 16 महीने की जेल (जो वह पहले ही काट चुका था) और नौ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा करने के बाद अभिनव सिंह ने खुद को डॉ. राजीव गुप्ता के रूप में स्थापित कर लिया।

    अमेरिका में कार्यरत जीजा की डिग्री का इस्तेमाल

    वर्ष 2022 मेंए यही शख्स डॉ. राजीव जैन के फर्जी सर्टिफि केट के आधार पर ललितपुर मेडिकल कॉलेज की कार्डियक केयर यूनिट (सीसीयू) इंचार्ज के पद पर चयनित होने में कामयाब हो गया। दो वर्षों से वह यहां गंभीर हृदय रोगियों का इलाज करने के साथ-साथ एमबीबीएस छात्रों को भी शिक्षा दे रहा था।

    असली डॉक्टर को मिला धोखा

    चौंकाने वाली बात यह है कि अभिनव सिंह ने अपने जीजा डॉ. राजीव गुप्ता की डिग्री का इस्तेमाल किया, जो अमेरिका के टेक्सास में एक बड़े मेडिकल कॉलेज में सेवाएं दे रहे हैं।

    शिकायत से खुला राज

    अमेरिका में कार्यरत असली डॉ. राजीव गुप्ता को दिल्ली में रह रहे उनके एक बैचमेट से सूचना मिली कि उनके नाम से फर्जी पंजीकरण और वेबसाइट बनाकर कोई व्यक्ति भारत में डॉक्टर बन बैठा है।

    धोखाधड़ी से बचने के लिए असली डॉ. राजीव गुप्ता ने तत्काल सेंट्रल मेडिकल कौंसिल से शिकायत की और उनकी पत्नी (अभिनव की बहन सोनाली सिंह) ने ललितपुर आकर जिलाधिकारी व मेडिकल कॉलेज प्रशासन को शिकायती पत्र सौंपा।

    शिकायत पर भांडा फूटा, फरार मुन्नाभाई

    बहन की ओर से शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कॉलेज प्रशासन हरकत में आया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. इम्तियाज अहमद ने बताया कि जब डॉ. राजीव जैन के सर्टिफि केट और अतीत के पन्ने खोले गए तो अधिकारी हैरान रह गए।

    शिकायत को गंभीरता से लिए जाने पर भेद खुल जाने के भय से कथित डॉ. राजीव गुप्ता ने तत्काल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को दो लाइन का इस्तीफा सौंपा, जिसमें उसने अपनी मां की मौत का हवाला दिया। अधिकारियों का कहना है कि उनकी मां अभी जिंदा हैं।

    फेक सर्टिफि केट से नियुक्ति पाने वाले शख्स की पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी को दी जा रही है। उसकी बहन की तहरीर पर केस दर्ज कराया जा रहा है और विभागीय स्तर पर हुई अनदेखी की जांच कराने के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा रहा है।

    -डॉ. इम्तियाज अहमद, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, ललितपुर।