58 करोड़ की सुरक्षा दीवार तोड़ रहे जंगली हाथी, फेंसिंग टूटने से बढ़ी आबादी में बाघों के घुसने की आशंका
लखीमपुर खीरी के दुधवा टाइगर रिजर्व में 58.5 करोड़ की सुरक्षा दीवार को जंगली हाथी तोड़ रहे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने का दावा विफल हो गया है। फेंसिंग टूटने से बाघों के आबादी में घुसने का खतरा बढ़ गया है। अधिकारियों के अनुसार, हाथियों के अलावा बाढ़ और पेड़ों के गिरने से भी फेंसिंग को नुकसान पहुंचा है, जिसकी मरम्मत का कार्य जारी है।

श्वेतांक शंकर उपाध्याय, लखीमपुर। दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों के किनारे बनाई गई 58.5 करोड़ की सुरक्षा दीवार (चेन लिंक फेंसिंग) को जंगली हाथी तोड़ रहे हैं। फेंसिंग बनाते समय यह दावा किया गया था कि इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सकेगा, लेकिन हाथियों ने फेंसिंग को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है।
फेंसिंग के टूटने से बाघों का आबादी में घुसपैठ और आसान हो जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा के बाद चेन लिंक फेंसिंग के लिए दुधवा नेशनल पार्क, बफरजोन और कतर्नियाघाट के उन हिस्सों को चिन्हित किया गया, जहां मानव-बाघ संघर्ष की सबसे अधिक घटनाएं सामने आ रही थीं।
वर्ष 2023-24 में लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क 15 किलोमीटर, बफरजोन के 31 और बहराइच के कतर्नियाघाट में 75 किलोमीटर की दूरी में चेन लिंक फेंसिंग के लिए 32.5 करोड़ रुपये जारी किया गया। अधिकारियों ने कार्य अधूरा होने का हवाला दिया तो वर्ष 2024-25 में और 26 करोड़ रुपये जारी किया गया।
इस बजट से तीनों डिवीजनों में 15-15 किलोमीटर का एरिया लिया गया, जिसमें खीरी जिले के भीरा, पलिया, उत्तर निघासन का मझरा पूरब, खैरटिया, दरलाजपुर, कबीरपुर, नानकपुर सहित कई गांवों को शामिल किया गया। अधिकारियों के मुताबिक, जंगल किनारे चेन लिंक फेंसिंग का कार्य पूरा हो गया है।
दावा किया जा रहा है कि जिन स्थानों पर फेंसिंग की गई है, वहां पर जंगल से निकलकर बाघ आबादी एरिया में नहीं आ रहे हैं। दुधवा नेशनल पार्क के जंगलों में रह रहे हाथी फेंसिंग के कारण बाहर नहीं निकल पा रहे थे, इसलिए हाथियों ने चेन लिंक फेंसिंग को तहस-नहस करना शुरू कर दिया है।
भीरा के फार्म टांडा में हाथियों ने करीब आधा किलोमीटर फेंसिंग तोड़ दी है। पिछले वर्ष हाथियों ने खैरटिया क्षेत्र में एक किलोमीटर तक फेंसिंग को नुकसान पहुंचाया है। हाथियों के उत्पात से जंगल की सुरक्षा दीवार में सेंध लग गई है और बाघों के आबादी क्षेत्र में आने का रास्ता आसान हो गया है।
फील्ड कर्मचारियों का कहना है कि तराई में दो तरह के बाघ हैं। एक जंगल में रहता है तो दूसरे ने गन्ने के खेतों को ठिकाना बनाया है। फेंसिंग टूटने से बाघ अब आसानी से आबादी क्षेत्र में आ सकते हैं।
दुधवा के फील्ड डायरेक्टर डा. एच राजामोहन का कहना है कि चेन लिंक फेंसिंग को तीन तरह से नुकसान हुआ है। हाथियों के अलावा बाढ़ और आंधी-तूफान पेड़ों के गिरने से फेंसिंग टूटी है। अधिकारियों से प्रस्ताव मांगा है। फाउंडेशन के बजट से मरम्मत कार्य कराया जाएगा। बाघों के मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है।

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