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    आठ दशकों से चली आ रही परंपरा... तिगरी के बाद गांजर का ऐतिहासिक ठुठवा-कतकी मेला शुरू; श्रद्धा-भक्ति का अनूठा संगम 

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 03:42 PM (IST)

    लखीमपुर में कार्तिक पूर्णिमा पर सरयू नदी के किनारे गांजर का ठुठवा-कतकी मेला शुरू हो गया है। यह मेला पुरानी परंपराओं और आस्था का प्रतीक है। यहाँ साधु-संतों का जमावड़ा है और विभिन्न प्रकार के व्यंजन और दुकानें हैं। स्वामी श्री हरि नारायण आचार्य जी महाराज का भंडारा चल रहा है, जिसमें सभी वर्गों के लोगों को प्रसाद दिया जा रहा है। मेला 9 नवंबर तक चलेगा।

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    जागरण संवाददाता, लखीमपुर। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर मां सरयू के तट पर लगने वाला गांजर का ऐतिहासिक ठुठवा-कतकी मेला इस वर्ष भी श्रद्धा और उत्साह के साथ आरंभ हुआ। यह मेला ग्रामीण अंचल की विलुप्त हो रही लोक परंपराओं, प्रथाओं और आस्था का जीवंत प्रतीक है।

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    यहां साधु-संतों का समागम, विविध प्रकार की मिठाइयों, झूलों और दुकानों की रौनक देखने योग्य होती है। मेला के दौरान स्वामी श्री हरि नारायण आचार्य जी महाराज का भंडारा निरंतर संचालित हो रहा है, जिसकी परंपरा लगभग आठ दशक पूर्व धर्मसम्राट स्वामी कृपाचार्य महाराज ने प्रारंभ की थी।

    मेला के वरिष्ठ जनों के अनुसार, शिवपुरी वाले बाबा का भंडारा इस मेले का सबसे पुराना और विशालतम है, जिसमें सभी वर्गों के लोगों को समान भाव से प्रसाद वितरण किया जाता है।

    श्री हरिचरण सेवा संस्थान द्वारा पिछले 12 वर्षों से इस भंडारे को भव्य रूप दिया जा रहा है। संस्थान के अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने बताया कि इस बार जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल और पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा के निर्देश पर मेले में नई सुविधाएं जोड़ी गईं, जिससे श्रद्धालुओं को काफी सुविधा हुई।

    उन्होंने स्थानीय प्रधान रामेंद्र सिंह, भेड़ाईहिया प्रधान प्रतिनिधि इकबाल, थाना अध्यक्ष निर्मल तिवारी और मेला प्रभारी राजकुमार सरोज के सहयोग की सराहना की। विधायक विनोद शंकर अवस्थी, भाजपा जिला प्रभारी वासुदेव मौर्य, आनंद, अनुराग मिश्रा व मोनू सिंह ने संस्थान के भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया और आयोजन की प्रशंसा की। मेला 9 नवंबर तक चलेगा।