दिवाली आते ही उल्लुओं की जान पर मंडराने लगा खतरा, दुधवा पार्क के अफसरों की छुट्टियां रद; क्या है मान्यता?
दीपावली पर तराई में लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उल्लुओं की बलि दी जाती है। दुधवा बफरजोन में शिकार रोकने के लिए अलर्ट जारी किया गया है। वन विभाग ने गश्त बढ़ा दी है और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। उल्लुओं की बलि और तांत्रिक पूजा की परंपरा के चलते इनकी तस्करी भी होती है, जिसे रोकने के लिए प्रशासन सतर्क है।

जागरण संवाददाता, लखीमपुर खीरी। तराई में दीपावली के मौके पर लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उल्लुओं की बलि देने की प्रथा है। इसके लिए दुधवा के बफरजोन के जंगलों में बड़े पैमाने पर उल्लुओं का शिकार होता है। अधिकारियों ने शिकार की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए बफरजोन में अलर्ट जारी किया है।
उप निदेशक नवीन खंडेलवाल ने निरंतर गश्त के लिए रेंज कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी है। निर्देश जारी किया गया है कि रेंजर से लेकर फारेस्ट गार्ड और वाचर तक पक्षियोंकी सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
दीपावली के मौके पर लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उल्लुओं की बलि देने और उनके खून से तांत्रिक पूजा करने की परंपरा दशकों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि उल्लू की बलि देने से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और तंत्र पूजा करने वाले को हमेशा धन-धान्य से समृद्धि रखती हैं।
दुधवा और बफरजोन के जंगलों में उल्लू और अन्य प्रजाति के पक्षी काफी संख्या में मौजूद हैं। जंगल से सटे इलाकों में उल्लू का शिकार कर उसकी तस्करी भी खूब की जाती है, क्योंकि दीपावली के मौके पर तंत्र पूजा के लिए उल्लुओं की बड़ी डिमांड होती है। इस चक्कर में दुधवा और बफरजोन से पकड़कर उल्लू महानगरों तक पहुंचाए जाते हैं।
इस कार्य में संगठित गिरोह कार्य करता है। इस बार बफरजोन प्रशासन ने जंगल के पक्षियों की सुरक्षा के लिए पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। उप निदेशक नवीन खंडेलवाल ने बताया कि रेंज स्तर पर अलर्ट जारी करने के साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि किसी वनकर्मी को अवकाश न दिया जाए। वह खुद भी रेंजों के अंतर्गत जंगलों का निरीक्षण कर सुरक्षा व्यवस्था को देखेंगे।
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