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    SIR in UP: एसआईआर में अटके फॉर्म, मतदाता सूची सुधार में बीएलओ की बढ़ी चुनौती

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 02:27 PM (IST)

    लखीमपुर में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान में बीएलओ घर-घर फार्म बांट रहे हैं, पर मतदाताओं की अनिश्चितता बाधा बन रही है। कई लोगों ने दोहरी जगह नाम दर्ज करा रखा है, जिससे फार्म भरने में उलझन है। अधिकारियों ने गलत जानकारी से बचने और 4 दिसंबर तक फार्म जमा करने की अपील की है। एसआइआर फार्म नई मतदाता सूची का आधार हैं।

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    संवाद सूत्र, लखीमपुर। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआइआर) की रफ्तार इस बार कागज़ों में नहीं, जमीनी हकीकत में परखी जा रही है। बीएलओ जहां घर-घर जाकर फार्म बांट रहे हैं, वहीं मतदाताओं की अनिश्चितता और लापरवाही अभियान की सबसे बड़ी बाधा बन गई है। चार दिसंबर अंतिम तिथि है, लेकिन अब भी कई लोग फार्म वापस करने को तैयार नहीं दिख रहे।

    फार्म लिए बैठे लोग, बीएलओ परेशान
    द्वारिकापुरी की बीएलओ अनामिका त्रिपाठी का कहना है कि 1235 में से 600 एसआईआर फार्म बांटे जा चुके हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 428 फार्म ही लौटे हैं। वे बताती हैं कि लोग फार्म लेकर बैठ जाते हैं, बार-बार याद दिलाने पर भी वापस नहीं करते। अब डोर-टू-डोर जाकर फार्म भरवाने की योजना बनाई है।

    इसी तरह बीएलओ नरेश तिवारी भी कम समस्या नहीं झेल रहे। उन्होंने 1123 में से 800 फार्म बांटे, लेकिन 400 ही वापस लौटे।उनकी चिंता वाजिब है कि लोगों को तय ही नहीं कि वे शहर के वोटर हैं या गांव के। यही दुविधा फार्म जमा करने में आड़े आ रही है।

    दो जगह के वोटर, दोहरी पहचान बड़ी मुश्किल
    अभियान में सामने आ रही सबसे बड़ी समस्या है दोहरे मतदाता।कई लोग गांव और शहर दोनों जगह अपना नाम दर्ज कराए बैठे हैं। दोनों जगह की वोटर आईडी भी बन चुकी है।

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    अब एसआइआर के दौरान यह पूछा जा रहा है कि वे वास्तव में कहां के वोटर बनना चाहते हैं। इसी उलझन में सैकड़ों लोग फार्म भरने से बच रहे हैं, और यह मतदाता सूची सुधार में बड़ी बाधा बन रही है।

    गलत जानकारी दी तो बढ़ जाएगी परेशानी
    निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी लगातार यह संदेश दे रहे हैं कि फार्म में किसी भी तरह की गलत, भ्रामक या अपुष्ट सूचना न भरें। एडीएम एफआर नरेंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि बीएलओ को दी गई जानकारी 2003 की मतदाता सूची से मिलाकर ही सत्यापित करनी होती है। कोई गलत तथ्य भविष्य में खुद मतदाता के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है।वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि फार्म में हस्ताक्षर करना अनिवार्य है। बिना हस्ताक्षर के फार्म मान्य नहीं होगा।


    बीएलओ पर दोहरा दबाव फार्म बांटें भी, इकट्ठा भी करें
    अभियान का सबसे कठिन हिस्सा बीएलओ के लिए यह है कि फार्म वितरण के साथ ही उन्हें जमा करने का काम भी तेजी से करना है।समय कम है और क्षेत्र बड़ा। फार्म लेने में लोग ढिलाई बरत रहे हैं, जिससे बीएलओ को रोज़ाना दो-तीन चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

    चार दिसंबर आखिरी तारीख मदद लें, देर न करें
    अधिकारी बार-बार अपील कर रहे हैं कि चार दिसंबर से पहले फार्म हर हाल में जमा कराएं।जिन्हें फार्म भरने में दिक्कतें आ रही हैं, वे ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव, सभासद या राजनीतिक दलों के एजेंटों की मदद ले सकते हैं।

    असर : नई मतदाता सूची इन्हीं फार्मों पर आधारित
    एसआइआर फार्म ही नई मतदाता सूची की नींव हैं।
    जो फार्म नहीं भरेंगे, उनके नाम सूची से बाहर हो सकते हैं।इसलिए यह अभियान सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि मतदाता बनने का अंतिम मौका भी है। अभी सबसे बड़ी चुनौती है लोगों की अनिश्चितता और बीएलओ की दौड़भाग, जिस पर ही आगामी सूची की गुणवत्ता निर्भर करेगी।