शीतलहर किस फसल के लिए लाभकारी और नुकसानदायक है? कृषि वैज्ञानिक ने कर दी कंफ्यूजन दूर
लखीमपुर खीरी में शीतलहर का रबी फसलों पर अलग-अलग असर दिख रहा है। कृषि वैज्ञानिक डा. पीके विसेन के अनुसार, यह मौसम गेहूं के लिए अच्छा है, लेकिन सरसों, ल ...और पढ़ें

राकेश मिश्र, लखीमपुर। जिले में चल रही शीतलहर का असर रबी फसलों पर अलग-अलग रूप में दिखाई दे रहा है। कृषि वैज्ञानिक डा. पीके विसेन के अनुसार वर्तमान मौसम गेहूं की फसल के लिए लाभकारी है, जबकि सरसों, लाही और आलू जैसी फसलों के लिए यह नुकसानदायक साबित हो सकता है। ऐसे में किसानों को फसल-वार सावधानी बरतने और वैज्ञानिक सलाह के अनुसार प्रबंधन करने की जरूरत है।
डा. विसेन ने बताया कि गेहूं की फसल इस समय कल्ले निकलने और बढ़वार की अवस्था में है। इस चरण में ठंडा मौसम गेहूं के लिए अनुकूल माना जाता है, जिससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और कल्लों की संख्या बढ़ती है। शीतलहर से गेहूं में कीटों का प्रकोप भी अपेक्षाकृत कम रहता है, जिससे उत्पादन बेहतर होने की संभावना रहती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि गेहूं में संतुलित नत्रजन का प्रयोग करें और हल्की सिंचाई कर खेत में नमी बनाए रखें।
वहीं दूसरी ओर सरसों और लाही की फसल इस समय फूल और फल बनने की अवस्था में है। अत्यधिक ठंड और पाला पड़ने की स्थिति में फूल झड़ने और फलियों के विकास में बाधा आने का खतरा रहता है। इससे सीधे-सीधे उपज पर असर पड़ सकता है। डा. विसेन ने कहा कि सरसों और लाही की फसलों में समय-समय पर हल्की सिंचाई करें, ताकि खेत का तापमान संतुलित रहे और पाले का प्रभाव कम हो।
आलू की फसल पर भी शीतलहर का प्रतिकूल असर पड़ सकता है। अत्यधिक ठंड से आलू के पौधों की पत्तियां झुलस सकती हैं और कंदों के विकास में रुकावट आ सकती है। कृषि वैज्ञानिक ने आलू उत्पादक किसानों को सलाह दी कि पाले की आशंका होने पर शाम के समय हल्की सिंचाई अवश्य करें। इसके साथ ही सल्फर या घुलनशील पोटाश का छिड़काव करने से ठंड के दुष्प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
डा. विसेन ने किसानों से अपील की कि मौसम पूर्वानुमान पर नजर रखें और शीतलहर के दौरान अनावश्यक खेत कार्यों से बचें। समय पर की गई सिंचाई, संतुलित पोषण और वैज्ञानिक सलाह के पालन से शीतलहर के प्रभाव को कम कर रबी फसलों से बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है।

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