गरीबों के लिए उम्मीदों का सूरज हैं डॉ. रवि
लखीमपुर : शहर के मुहल्ला संकटादेवी निवासी चिकित्सक डॉ. रवि टंडन ने चिकित्सा को व्यवसाय ...और पढ़ें

लखीमपुर : शहर के मुहल्ला संकटादेवी निवासी चिकित्सक डॉ. रवि टंडन ने चिकित्सा को व्यवसाय नहीं बनाया। वे इसे गरीबों की सेवा का जरिया मानते हैं। पिछले कई वर्षों से गरीबों का मुफ्त इलाज कर रहे हैं। उनका बस एक ही ध्येय रहा है कि हर कोई स्वस्थ और खुशहाल रहे। पहले सरकारी सेवा और अब अपनी निजी क्लीनिक से गरीबों की सेवा कर रहे हैं। उन्हें अपने पास से दवाएं भी बाजार से खरीद कर देते हैं। जिले में कई नि:शुल्क शिविर लगाकर गरीबों का मुफ्त इलाज कर चुके हैं। डॉ. रवि की क्लीनिक हो या घर मरीज कहीं भी पहुंच जाते हैं। डॉ. रवि के पिता कृष्ण कुमार टंडन भारतीय स्टेट बैंक में अधिकारी थे। उन्होंने अपने पुत्र को गरीबों की सेवा का जो पाठ पढ़ाया था उसे आज भी वे भूले नहीं हैं।
निजी खर्च पर लखनऊ से कराया बच्चे का इलाज
नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि बताते हैं कि एक गरीब रिक्शा चालक छोटन्ने के बच्चे की बायोस्कोपी करानी थी। यह सुविधा केवल लखनऊ के ट्रामा सेंटर में मौजूद है। उन्होंने मरीज को ट्रामा सेंटर भेजा, लेकिन वहां से मरीज निराश होकर वापस लौट आया। इस बात की जानकारी जब चिकित्सक डॉ. रवि को हुई तो उन्होंने आनन-फानन अपने निजी खर्च पर कंपाउंडर के साथ मरीज को लखनऊ ट्रामा सेंटर भेजकर इलाज कराया।
शैक्षिक गतिविधियों में भी दिया अमूल्य योगदान
चिकित्सक होने के साथ ही वे शिक्षा में सामाजिक सहभागिता और समरसता को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग मानते हैं। उन्होंने जरूरतमंद व सुपात्र विद्यार्थियों को सामान्य अध्ययन अंग्रेजी, रिज¨नग एवं मेंटलएबिलिटी की किताबें खरीद कर नि:शुल्क वितरित कराई। उन्होंने समाज को आस्थावान और श्रद्धालु बनाने के लिए संस्कारों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गीता प्रेस गोरखपुर की तमाम पुस्तकें खरीद कर घर-घर तक बटवाने का काम किया है।
देश हमें देता है सबकुछ हम भी तो कुछ देना सीखें
स्वास्थ्य विभाग के हरकीरत ¨सह जिले में करीब पांच साल से स्वास्थ्य योजनाओं का क्रियान्वयन करा रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में भी बतौर जिला प्रक्रिया प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। इलाहाबाद के मूल निवासी हरकीरत सिर्फ सरकारी तौर पर अपना काम ही नहीं निपटाते बल्कि वह स्वास्थ्य योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए निजी तौर पर भी सक्रिय रहते हैं। विचार गोष्ठी और नुक्कड़ नाटक के जरिए आशाओं के बीच जागरूकता कार्यक्रम चलाते हैं। साइकिल से एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक तक रैली निकालकर सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार तो कभी सेंटा क्लाज बनकर स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी देते हैं। उनका मानना है कि देश ने हमें बहुत कुछ दिया है हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम देश के लिए कुछ करें। इसी जज्बे को लेकर वे अपने कार्यों को अंजाम देते हैं। साथ ही दूसरे लोगों को भी प्रेरित करते हैं।

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