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    पिता का सपना पूरा कर रहीं एसडीएम स्वाति शुक्ला

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 17 Oct 2020 11:05 PM (IST)

    निराश्रित व असहायों की मसीहा बन चुकी स्वाति शुक्ला का जीवन संघर्ष भरा रहा। कैंसर से जंग हारने वाले पिता का सपना साकार करते हुए पीसीएस अधिकारी बनकर समाजसेवा को दायित्व बना लिया।

    पिता का सपना पूरा कर रहीं एसडीएम स्वाति शुक्ला

    लखीमपुर: निराश्रित व असहायों की मसीहा बन चुकी स्वाति शुक्ला का जीवन संघर्ष भरा रहा। कैंसर से जंग हारने वाले पिता का सपना साकार करते हुए पीसीएस अधिकारी बनकर समाजसेवा को दायित्व बना लिया। वर्तमान समय में मोहम्मदी तहसील की एसडीएम स्वाति शुक्ला का कार्यालय जरूरतमंदों के लिए विश्वसनीय स्थान बन चुका है। विपरीत हालातों के साथ संघर्ष का सामना करते हुए इस मुकाम तक पहुंचने के कारण उन्हें हर किसी में अपना संघर्ष दिखता है। संघर्षों से जूझकर पीसीएस बनी स्वाति शुक्ला की कहानी सही मायने में प्रेरणादायक है। कैंसर की बीमारी से लड़ते पिता के इलाज का खर्च, परिवार के दायित्वों के निर्वाहन की जिम्मेदारी के साथ खुद की पढ़ाई यह सब आसान नहीं रहा। सफलता व लोकप्रियता प्रदेश में उन्हें नई पहचान दिला चुकी है। तहसील क्षेत्र के कई परिवारों का वह एक बेटी की तरह जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उन्होंने 2015 की पीसीएस परीक्षा की महिला रैंकिग में चौथा व ओवरऑल 17वीं रैंक प्राप्त कर पिता का सपना पूरा किया। पिता का सपना था कि उनकी पुत्री पीसीएस अफसर बनकर जरूरतमंदों के साथ न्याय करे। 2015 में जहां पीसीएस बनने की खुशी मिली वहीं इसी वर्ष उनके पिता की कैंसर से मौत हो गई। रेलवे विभाग में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद से रिटायर हुए स्वाति के पिता की मौत के बाद घर की जिम्मेदारियों का बोझ भी उन्हीं पर आ गया। चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी बहन की शादी के बाद दो छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी भी उन पर आ गई। एमबीए कोर्स पूरा करने के बाद बैंक व कॉलेजों में जॉब करने के साथ पीसीएस की तैयारी भी की। प्राइवेट जॉब कर अपनी पढ़ाई , बीमार पिता परिवार का जिम्मा भी उठाया। पीसीएस की तैयारी के दौरान तमाम कठिनाई भरे दौर सामने आए। जिनमें फैसला लेना मुश्किल भरा रहा लेकिन, मां का साथ व पिता का सपना उनको मंजिल तक ले गया। हिम्मत न हारते हुए संघर्षों से लड़कर आज एसडीएम मोहम्मदी की कुर्सी संभाल रही हैं।

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