..शहीदों को अपना वतन खूबसूरत
मेला चैती के सांस्कृतिक मंच पर कुल हिद मुशायरे में महफिल सजी।

लखीमपुर : मेला चैती के सांस्कृतिक मंच पर 'कुल हिद मुशायरे' में महफिल सजी। शुरुआती शायर काविश रूदौलवी ने वतन पर कुछ यूं बयां किया कि न तन खूबसूरत न धन खूबसूरत, शहीदों को अपना वतन खूबसूरत। सलाम उन शहीदों को काविश जिन्होंने, तिरंगे का ओढ़ा कफन खूबसूरत।
सुनील कुमार तंग ने सुनाया कि एक मंजिल के मुसाफिर हैं यकीनी हम तुम, बस वहीं जाके ठहर जाएंगे जाते-जाते। ये अलग बात है हम भूख से मर जाएंगे, तुम भी मर जाओगे खैरात की खातिर।
तरन्नुम कांतपुरी ने सुनाया कि वादा करो कि रुख से न पर्दा हटाओगे। हम आज अपनी ताबे नजर आजमाएंगे।
शैलेंद्र मधुर ने सुनाया कि हम हवेली के कबूतर हैं खुली छत के नहीं। दायरा उड़ने का बढ़ जाए तो मर सकते हैं। जमुना उपाध्याय अयोध्या ने सुनाया कि जब जब रायशुमारी करनी पड़ती है, क्या-क्या कारगुजारी करनी पड़ती है। खादी से समझौता करना पड़ता है, गांधी से मक्कारी करनी पड़ती है। पुष्कर सुल्तानपुरी ने सुनाया कि बुलाया जहां आजमाने के खातिर, मैं आया वहीं चोट खाने के खातिर। सुना था गमों में खुशी भी छिपी है, मैं रोया बहुत मुस्कुराने के खातिर। मुजाहर मालेगावी ने सुनाया कि ये अलग बात कि फूलों से लदे रहते हैं फिर भी जो लोग गधे हैं वो गधे रहते हैं। कुंवर जावेद ने सुनाया कि कोई हिदुत्व कि इस्लाम न पूछा जाए। मरने के बाद का अंजाम न पूछा जाए। मेरी आंखों में पढ़ी जाए वतन की खुशबू। कौन हूं मुझसे मेरा नाम न पूछा जाए।
इस दौरान नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष मीनाक्षी अग्रवाल, प्रदीप नारायण दीक्षित, राजेश वाजपेयी सहित सभासद मौजूद रहे। सेवानिवृत शिक्षक को दी विदाई पसगवां में केन ग्रोवर्स इंटर कालेज से सेवानिवृत शिक्षक राकेश चंद्र गुप्त को पीके कांवेंट स्कूल में भावभीनी विदाई दी गई। उन्हें शाल ओढ़ाकर और शिक्षक साथी श्रीकांत सिंह का लिखा गया विदाई गीत भेंट किया गया। इस दौरान राकेश चंद्र गुप्त भावुक हो गए। पुत्रों की ओर से आयोजित इस विदाई समारोह में उन्होंने केक काटा।
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