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    Child Labour: लखीमपुर में ये काम कर रहे हैं नाबालिग बच्चे, श्रम विभाग भी अनजान; सरकारी दावों की खुल गई पोल

    Updated: Sat, 14 Jun 2025 04:00 PM (IST)

    लखीमपुर खीरी में बाल श्रम की स्थिति चिंताजनक है। गरीबी के कारण बच्चे स्कूल जाने की उम्र में मजदूरी करने को मजबूर हैं। होटल रेस्टोरेंट और दुकानों पर कम ...और पढ़ें

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    रेस्टोरेंट और प्रतिष्ठानों पर बच्चे कर रहे मजदूरी, श्रम विभाग अनजान

    संवादसूत्र, गोला गोकर्णनाथ (लखीमपुर)। कहने को तो सरकार के द्वारा बाल श्रम को खत्म करने को लेकर तमाम योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन कई बच्चे विद्यालय जाने की उम्र में गरीबी और घरेलू परिस्थित के कारण मजदूरी करने को विवश है। आए दिन होटल, कामगार, रेस्टोरेंट और बाजारों में आठ से लगभग 12 साल उम्र तक के ज्यादातर बच्चे काम करते नजर आ रहे हैं। जिसको लेकर ना तो यह बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं और ना ही अपने बचपन को जी पा रहे हैं।

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    ऐसा ही मामला लखीमपुर मार्ग स्थित नगर पालिका के सामने देखने को मिला, जहां नीची भूड़ निवासी फैजान फलों के ठेले पर बैठे हुए नजर आए। वही पौराणिक शिव मंदिर में कुछ बच्चे अपने परिवार के लोगों के साथ भीख मांगते हुए दिखाई दिए।

    यह कोई नया मामला नहीं है ज्यादातर बाइक, बिजली और मैकेनिकों की दुकानों पर कम उम्र के बच्चे मजदूरी करते हुए नजर आते हैं। जबकि सरकार के द्वारा सर्व शिक्षा अभियान के तहत 100 फ़ीसदी साक्षरता को लेकर जागरूकता रैली निकालकर वा अन्य माध्यमों से बच्चों के दाखिला स्कूलों में निशुल्क कराए जाते हैं। लेकिन शायद इन बच्चों के नसीब में भीख मांगना और मजदूरी करना ही लिखा हुआ है। जबकि बाल श्रम को लेकर सरकार संजीदा दिखाई दे रही है। 

    बच्चे कम दिहाड़ी पर करते हैं मजदूरी

    कम दिहाड़ी पर बच्चे होटल और अन्य प्रतिष्ठानों पर काम कर लेते हैं। जिसको लेकर होटल स्वामी व अन्य प्रतिष्ठानों के मालिक दिहाड़ी की बचत के कारण इन बच्चों को विद्यालय जाने की उम्र में मजदूरी पर रख लेते हैं। जबकि बाल श्रम करवाना अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि गरीबों झेल रहे बच्चे छोटी उम्र में ही घर वालों की मदद ना चाहते हुए भी करने लगते हैं। और स्कूल जाने की उम्र में मजदूरी में लिप्त होने के कारण वह अशिक्षित रह जाते हैं।

    श्रम विभाग नहीं चला रहा कोई अभियान

    श्रम विभाग के द्वारा बाल श्रम रोकने को लेकर कोई अभियान शहर में चलता हुआ नजर नहीं आता है। हालांकि डॉ प्रीति वर्मा के द्वारा बाल श्रम एवं संरक्षण उत्तर प्रदेश की सदस्य बनने के बाद कई बार अभियान चलाया गया, और कई बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया गया।