सड़कों पर गुम सियासी शोर, गांव में डोर टू डोर जनसंपर्क पर जोर
लग्जरी वाहनों के काफिले से दावेदारों ने बनाई दूरी जनसंपर्क बन गई मजबूरी।

संवादसूत्र, चपरतला (लखीमपुर) : कोविड संक्रमण के कारण न सिर्फ इस बार चुनावी दृश्य बदला हुआ नजर आ रहा है बल्कि चुनाव प्रचार के तौर-तरीके भी बदल गए हैं। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने रैली, जुलूस, सभा व पद यात्रा पर रोक लगाकर दावेदारों की टेंशन को और बढ़ा दिया है।
जिले में चौथे चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब एक महीना भी नहीं बचा है। इसके बावजूद सड़कों पर सियासी शोर सुनाई नहीं दे रहा है। इतने कम समय में लोगों के पास तक कैसे पहुंचेंगे इसको लेकर संभावित दावेदारों की धड़कन बढ़ी हुई हैं। जिन दावेदारों को टिकट मिल गया है उन्होंने डोर टू डोर संपर्क पर जोर देना शुरू कर दिया है। एक या दो वाहन से ही वह गांव-गांव में जनसंपर्क करने को मजबूर हैं। सुबह की चाय हो या शाम का डिनर, इन दिनों वह गांव में ही करना पड़ता है।
कोई जताता आभार तो कोई कर रहा सवाल
सत्ताधारी दल के एक नेता जी जब क्षेत्र में पहुंचे तो लोगों ने मिल रही योजनाओं के लिए उनका आभार व्यक्त किया। चर्चा आगे बढ़ी तो कुछ लोगों ने बेरोजगारी, महंगाई और खेतों में घूम रहे बेसहारा पशुओं पर सवाल करना शुरू किया तो नेता जी कुछ सकपकाए और आगे बढ़ लिए। जनता में गिना रहे उपलब्धियां
चुनाव को लेकर क्षेत्र में सबसे ज्यादा भाजपा और सपा के दावेदारों की दस्तक दिखाई दे रही है। कोई मुफ्त राशन तो कोई विकास के दावे कर रहा है। आने वाले दिनों में रोजगार संग मुफ्त बिजली के वादे ने सियासी सरगर्मी तेज कर दी है। दावेदार गांव के हर घर तक पहुंचकर अपनी सरकार में मिलने वाली योजनाओं के लाभ के बारे में जानकारी देते हैं।
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