'लेके धर्म की नाव तेरे घर तू चला जा'
तिकुनिया (लखीमपुर) : अंतरराष्ट्रीय मानव मिलन के संस्थापक नेपाल केसरी जैन मुनि डॉ.मणिभद्रजी महाराज ने ...और पढ़ें

तिकुनिया (लखीमपुर) : अंतरराष्ट्रीय मानव मिलन के संस्थापक नेपाल केसरी जैन मुनि डॉ.मणिभद्रजी महाराज ने भजन 'शिकवा न शिकायत ये तेरी कहीं न चलेगी, जिनवाणी तुम्हें बार-बार कहां मिलेगी, जीवन मिला अनमोल जिनवाणी पिए जा, लेके धर्म की नाव तेरे घर तू चला जा' के माध्यम से कहा कि व्यक्ति को आज सिर्फ शिकायत करनी आती है। अच्छा हुआ तो कहता है मैंने किया यदि कुछ बुरा हुआ तो कहता है कि भगवान ने कर दिया।
जैन मुनि डॉ.मणिभद्र महाराज जैन कॉलोनी स्थित जैन स्थानक में अपनी सर्वोदय शांति पदयात्रा विश्राम के दौरान चौथे व अंतिम दिन उपस्थित जनों को कल्याणकारी शिक्षा दे रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को कभी भी राग के वशीभूत नहीं होना चाहिए। राग का मतलब होता है किसी व्यक्ति विशेष या किसी संप्रदाय विशेष से लगाव। यह गुरू मेरा, भगवान महावीर मेरे, भगवान राम, भगवान कृष्ण मेरे। इस तरह मेरे-मेरे की माला फेरने से कल्याण होने वाला नहीं है। कल्याण चाहते हो तो इनकी शिक्षाओं को ग्रहण करना पड़ेगा। मन में किसी को अच्छा, किसी को बुरा का विचार आने लगे तो समझना चाहिए कि वह व्यक्ति धर्म से दूर जा रहा है। तुम ये कहो कि मैं सही हूं। ऐसा आप कह सकते हैं क्योंकि आप जानते हैं कि आप सही हैं। झूठ तो तब होता है जब आप कहते हैं कि मैं ही सही हूं। नेपाल केसरी ने कहा कि आज व्यक्ति एक-दूसरे में समानता नहीं ढूंढता। अंतर ढूंढता है। जबकि सारे के सारे मानव हैं। जिस दिन व्यक्ति के अंदर मानवीय गुण आ जाएंगे तब चाहे व्यक्ति जैन, बौद्ध, ¨हदू, मुस्लिम कुछ भी बन जाए, किसी को भी एक दूसरे से नुकसान होने वाला नहीं है। अक्षत मुनि महाराज ने कहा कि क्रोध हमारा सबसे बड़ा शत्रु है जो कि हमारी शांति को नष्ट कर देता है। यदि क्रोध पर विजय पाना चाहते हो तो क्षमा को धारण करने की कोशिश करनी होगी। इस अवसर पर ज्ञान गोयल, किशन गोयल, कृष्ण सक्सेना, प्रेम चंद्र अग्रवाल, दीपक अग्रवाल, वीरेंद्र वर्मा, अनूप अग्रवाल, जगदीश अग्रवाल, नरेश कांडपाल, सुशील मित्तल, विनोद अग्रवाल, विनोद गर्ग, तेजू अग्रवाल सहित काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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