जन्म के एक घंटे के अंदर पिलाएं मां का पहला पीला गाढ़ा दूध
लखीमपुर : स्वास्थ्य विभाग द्वारा मां एवं बच्चे के जीवन को सुरक्षित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं
लखीमपुर : स्वास्थ्य विभाग द्वारा मां एवं बच्चे के जीवन को सुरक्षित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि नवजात शिशुओं में होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण संक्रमण है। 33 फीसद नवजात की मृत्यु ठंड लगने से निमोनिया, सेप्टीसीमिया और नाल में होने वाला संक्रमण है। 35 फीसद नवजात शिशु समय से पहले जन्म लेने के कारण विकसित नहीं हो पाते और उनकी मृत्यु हो जाती है। 20 फीसद शिशुओं को जन्म के समय पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती इससे उनका दम टूट जाता है। जिले में आशा और एएनएम ने जन्म के समय 3.5 फीसद कमजोर नवजात शिशुओं की पहचान की। चिन्हित किए गए 25 फीसद कमजोर नवजात शिशुओं का इलाज किया गया। 12.9 फीसद ढाई किलो से कम वजन वाले नवजात शिशुओं की पहचान की गई।
घर पर नवजात शिशु की देखभाल
पिछले दो तीन वर्षों में मातृ एवं शिशु मृत्युदर में काफी कमी आई है। स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति उदासीनता होने के कारण मृत्युदर अधिक थी। घर पर किए जाने वाले छोटे छोटे प्रयासों के जरिए मां और बच्चों के जीवन को सुरक्षित रखा जा रहा है।
भ्रांतियों और परंपराओं से नवजात का जीवन असुरक्षित
आमतौर पर मां को गर्भावस्था में ज्यादा खाना नहीं दिया जाता कि बच्चे का वजन बढ़ जाएगा। सामान्य प्रसव करवाने में दिक्कत होगी। बच्चों को जन्म के बाद नहला कर पुराने कपड़े पहनाना। घर पर प्रसव हो नाल को हंसिया से काटना। नाल को जल्दी ठीक करने के लिए उस पर तेल और हल्दी लगाने से बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। उसे बुखार, हाइपोथर्मिया और संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा नवजात को मां का पहला गाढ़ा पीला दूध न पिलाने के पीछे यह मान्यता है कि वह गंदा दूध है और उसे निकाल कर फेंक देना ही उचित है।
नवजात शिशु में खतरे के लक्षण
- नाल का लाल पड़ जाना एवं उससे खून या मवाद आना, शरीर ठंडा पड़ जाना या बुखार होना, दस्त, मां का दूध ना पीना, सांस तेज लेना या पसली चलना, झटके पड़ना।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
नवजात शिशु को कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए। जन्म के बाद नवजात को सात दिनों तक न नहलाया जाए। नवजात के शरीर पर टोपी, हाथ में दस्ताने, पैरों में मोजे व लंगोटी के अलावा अन्य वस्त्र न पहनाए जाए। मां को अपना पहला पीला गाढ़ा दूध जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के अंदर पिलाना चाहिए।
डॉ. मीरा वर्मा
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
जिला महिला अस्पताल
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।