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    लापरवाही की इंतहा.. 8 साल के मासूम को स्कूल में बंद कर चले गए टीचर, 18 घंटे भूख-प्यास से तड़पता रहा बच्चा; ढूंढते रहे परिजन

    कुशीनगर में आठ वर्षीय बालक ठाकुर उर्फ आयुष स्कूल के कमरे में गलती से बंद हो गया। वह पूरी रात भूख-प्यास से तड़पता रहा और डर के मारे चीखता रहा। उसके माता-पिता नंदलाल और शारदा देवी उसे रात भर खोजते रहे लेकिन उसकी आवाज उन तक नहीं पहुंची। सुबह खेत जा रहे कुछ लोगों ने बच्चे की चीख सुनी और उसे कमरे से निकाला। बच्चा 18 घंटे से कैद था।

    By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 26 Aug 2025 11:31 PM (IST)
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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, कुशीनगर। उम्र आठ वर्ष। कक्षा दो। नाम बालक ठाकुर ऊर्फ आयुष। सोमवार को कक्षा में बैठ पढ़ते समय नींद आई तो फिर स्कूल का कमरा शिक्षकों की लापरवाही के चलते कैद खाना बन गया।

    कमरे में बाहर से ताला लटकता रहा, बंद कमरे में उसके डर की आवाज चीखती रही, रात के सन्नाटे में उसकी आवाज मदद करने वालों के कान तक नहीं पहुंच सकी। घर से कुछ ही दूरी पर मासूम रोता बिलखता रहा, भूख से तड़पता रहा।

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    स्कूल के आसपास तलाश में लगे पिता नंदलाल व माता शारदा देवी भी आंखों में लाल के गायब होने से अनहोनी की आशंका लिए उसे पुकारते रहे। यह नियति का खेल ही था कि कुछ दूरी पर माता-पिता बेटे की खोज में बदहवास थे बेटा कमरे में डर के साए में चीखता रहा।

    किसी तरह भारी काली रात ढली तो पौ फटते ही 18 घंटे से बंद कमरे में चीखती बच्चे की आवाज को खेत की ओर जा रहे कुछ लोगों ने सुन ली। लोग चीख की दिशा में दौड़ते रहे, इधर-उधर देखते रहे, कोई गन्ने के खेत में आवाज की दिशा में दौड़ा तो किसी ने गड्ढे आदि में तलाश की।

    किसी को स्कूल के कमरे में बच्चे के कैद होने की कल्पना तक नहीं थी। यह बात गांव तक पहुंची तो माता-पिता उसी बदहवासी और शारीरिक मानसिक थकाने के साथ बच्चे को खोजने के लिए दौड़े। उनकी दौड़ अब खेत से हटकर स्कूल की ओर हुई तो बच्चा स्कूल के कमरे की खिड़की पर खड़ा आंसुओं से सराबोर सिसकियां लेता मिला।

    ग्राम प्रधान भी भाग कर आए, कमरे का ताला खुला। कमरा खुलते ही बच्चा माता-पिता की ओर ऐसे दौड़ा, जैसे काल कोठरी से निकला हो और नया जीवन मिला हो। बच्चे की पीड़ा और दहशत देख पूरे गांव के लोगों की आंखें छलक आईं।