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    लंबी दूरी की गाड़ियों के लिए तरस रहे यात्री

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 01 Nov 2018 11:37 PM (IST)

    पूर्वोत्तर रेलवे के कप्तानगंज-सिवान रूट का आमान परिवर्तन हुए साढ़े सात साल बीत गए। अभी भी इस रूट के यात्री लंबी दूरी की गाड़ियों के लिए तरस रहे हैं।

    लंबी दूरी की गाड़ियों के लिए तरस रहे यात्री

    कुशीनगर : पूर्वोत्तर रेलवे के कप्तानगंज-सिवान रूट का आमान परिवर्तन हुए साढ़े सात साल बीत गए। अभी भी इस रूट के यात्री लंबी दूरी की गाड़ियों के लिए तरस रहे हैं। कभी पांच जोड़ी सवारी गाड़ियां इस रूट पर चलती थीं लेकिन इस रूट के यात्रियों को एकमात्र डेमू गाड़ी के चार फेरों का सहारा है। आमान परिवर्तन हुआ तो उम्मीद जगी कि बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। नियमित एक्सप्रेस ट्रेनों का संचलन अब तक शुरू नहीं हुआ। सवारी गाड़ी की संख्या बढ़ाना तो दूर, बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई गई। आदर्श रेलवे स्टेशन की घोषणा भी हवा-हवाई साबित हुई। तत्कालीन संप्रग सरकार में आमान परिवर्तन के बाद 18 दिसंबर 2011 को रेल महाप्रबंधक ने हरी झंडी दिखा बड़ी लाइन की पहली सवारी गाड़ी दौड़ाई थी। कुछ माह बाद लोकसभा चुनाव हुआ और केंद्र की सत्ता बदल गई। इसके बाद किसी जनप्रतिनिधि ने इस रूट के यात्रियों की बेहतरी के बारे में सोचा ही नहीं।

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    स्टेशन परिसर में सामुदायिक शौचालय और स्नानघर बनकर तैयार है, लोग उद्घाटन की राह देख रहे। प्लेटफार्म पर उसी समय की लगी टोटियों के सहारे पेयजल व्यवस्था चल रही है। यात्रियों ने कि सत्तापक्ष के लोग तो उदासीन हैं ही, विपक्ष के लोगों ने भी अपनी भूमिका का निर्वहन नहीं किया। नेताओं ने कभी भी इस रूट की दुर्दशा दूर करने के लिए आवाज बुलंद नहीं किए।

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    क्या कहते हैं नियमित यात्री

    --यूएनपीजी कालेज के लिपिक शमशेर मल्ल कहते हैं कि भाजपा नेताओं ने अच्छे दिनों का सपना दिखाया था। केंद्र सरकार के साढ़े चार वर्ष बीत गए, लेकिन इस रूट की सुधि नहीं ली गई। नगर निवासी निरंजन शुक्ल ने कहा कि इस रूट के यात्रियों की बेहतरी के बारे में कभी सोचा ही नहीं गया। आमान परिवर्तन हुआ तो बेहतर सुविधाओं की उम्मीद जगी, लेकिन सरकार बदलने के बाद सब कुछ ठहर गया। रामकोला कस्बा निवासी प्राचार्य डा. मनीषा ¨सह ने कहा कि कप्तानगंज-थावे रूट के आमान परिवर्तन के साढ़े सात साल बाद भी स्थिति जस की तस है। अजय धर द्विवेदी ने कहा कि सीमावर्ती बिहार व कुशीनगर जनपद के तरयासुजान, तिनफेडिया, तमकुहीरोड, गौरीश्रीराम, दुदही, चाफ, कठकुइयां, पडरौना, बड़हरागंज, रामकोला, लक्ष्मीगंज, मठिया वरघाट, कप्तानगंज, बोदरवार आदि स्टेशनों से गोरखपुर व बिहार की यात्रा डेमू के भरोसे चल रही है। प्रमोद श्रीवास्तव ने कहा कि इस रूट पर एक्सप्रेस ट्रेनों को चलाने व पैसेंजर गाड़ियों की संख्या बढ़ाने के लिए किसी जनप्रतिनिधि ने प्रयास नहीं किया।

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    रेलवे बोर्ड को भेजा गया है प्रस्ताव

    -पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर के सीपीआरओ संजय यादव ने कहा कि कप्तानगंज-थावे रूट पर यात्री सुविधाओं को बढ़ाने और गाड़ियों की संख्या बढ़ाने के लिए बोर्ड को प्रस्ताव भेजा गया है।