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    संघमित्रा ने ज्येष्ठ पूर्णिमा को श्रीलंका में रोपा था बोधिवृक्ष

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 15 Jun 2022 12:31 AM (IST)

    कुशीनगर में आयोजित कार्यक्रम में बौद्ध भिक्षुओं ने कहा कि बौद्ध धर्म में पूर्णिमा का है विशेष महत्व पूर्णिमा को ही बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थीं इसी दिन श्रीलंका में सम्राट अशोक की पुत्री ने बोधिवृक्ष का पौधा लगाया था।

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    संघमित्रा ने ज्येष्ठ पूर्णिमा को श्रीलंका में रोपा था बोधिवृक्ष

    कुशीनगर: बौद्ध धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है। भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण घटनाएं पूर्णिमा को ही हुई थीं। सम्राट अशोक की पुत्री संघ मित्रा ने इसी दिन श्रीलंका में बोधिवृक्ष का पौधा रोपा था।

    मंगलवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर बुद्धा घाट पर भिक्षु बोधयांग गौतम की अध्यक्षता में विशेष पूजा हुई। गौतम ने कहा कि सम्राट अशोक की पुत्री संघमित्रा ने ज्येष्ठ पूर्णिमा को ही श्रीलंका के अनुराधापुर में बोधगया से ले जाकर बोधिवृक्ष रोपा था। कपिलवस्तु में 15 वें वर्षावास के दौरान भगवान बुद्ध ने महासमय सुत्त का उपदेश दिया था। इसी दिन तपस्सु और भल्लिक को भगवान बुद्ध ने दीक्षा दी थी। गौतम ने कहा कि ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को बुद्ध के अस्थि अवशेष का बंटवारा कुशीनगर में हुआ था। उस उपलक्ष्य में भी पूजा हुई। भंते मूलचंद नाग, भंते मेघानंद, भंते शीलसागर, भंते सारिपुत्र, भंते संघवंश, धम्मवंश, हरिकृष्ण, पराग गौतम, रामनाथ, राम भरोस आदि उपस्थित रहे।

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    एक करोड़ पौधारोपण का थाई बौद्ध भिक्षु खोमसान का लक्ष्य

    थाई बुद्धिस्ट मोनास्ट्री श्रावस्ती के मांक इंचार्ज डा. पी. खोमसान ने भगवान बुद्ध के वनों से लगाव से प्रेरित होकर अपने जीवनकाल में एक करोड़ पौधारोपण करने का लक्ष्य बनाया है।

    बुद्धा घाट के निकट मियावाकी फारेस्ट के लिए पौधरोपण करने आए खोमसान ने बताया कि पूरे विश्व में वनों की अंधाधुंध कटान जारी है। इससे पर्यावरण पर संकट आ गया है। जीवधारियों को बचाना है तो एकमात्र उपाय अधिकाधिक पौधारोपण है। उन्होंने बताया कि तीन वर्ष पूर्व पौधारोपण अभियान की शुरुआत किए थे। अब तक थाईलैंड में लगभग दो लाख और भारत में 30 हजार पौधों का रोपण कर चुके हैं। भारत में कुशीनगर के अतिरिक्त सोनौली, श्रावस्ती व औरंगाबाद में पौधरोपण किए हैं। वह मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा यानी सभी धर्मों के पूजा स्थल पर पौधारोपण करते हैं। इसके लिए वह धार्मिक स्थल के प्रबंधन से अनुमति लेते हैं।