सेप्टिक टैंक में बनती है कौन सी गैस? कैसे निगल लेती है जिंदगियां, इन बातों का रखें खास ध्यान
सेप्टिक टैंक में कौन सी गैस बनती है और कैसे इससे मौत होती है। इसकी जांच के लिए क्या करना चाहिए और कैसे सावधानी बरतनी चाहिए। इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए ये खबर जरूर पढ़ें।
कुशीनगर, जागरण संवाददाता। कुशीनगर जिले में सेप्टिक टैंक में गिरने से चाल लोगों की मौत की घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। इससे पहले भी टैंक की सफाई के दौरान पांच और लोगों की जान जा चुकी है। इन घटनाओं की वजह को लेकर बुद्ध डिग्री कालेज कुशीनगर में रसायन शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. रवि प्रकाश पांडेय बताते हैं कि सेप्टिक टैंक के कचरे व सीवरेज में बनने वाली गैस का प्रमुख घटक मीथेन है, जो उच्च सांद्रता में अत्यंत विषैला हो सकता है। गंदे पानी के कारण भी ऐसी गैस बन सकती है।
मीथेन गैस के संपर्क में आने से आंखों में जलन, गले में खराश, सांस की तकलीफ और खांसी और अधिकता से तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) प्रभावित हो सकता है। घुटन, सिरदर्द और चक्कर के साथ गैस की अधिकता फेफड़े और मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है, जो मृत्यु कारण बन जाता है।
ऐसे प्रहार करती है मिथेन गैस
कहते हैं कि सेफ्टी टैंक बंद रहता है, ऐसे में सीवेज और गंदे पानी की वजह से टैंक में मीथेन गैस की अधिकता हो जाती है। जब कभी कोई व्यक्ति सेफ्टी टैंक में उतरता है तो मीथेन गैस की गंध की तीव्रता सांस लेते ही सीधे मस्तिष्क तक प्रहार करती है। इसके असर से व्यक्ति अचेत हो जाता है। ऐसे में अचेत अवस्था में भरपूर आक्सीजन भी नहीं मिल पाती है, जिसका सीधा असर फेफड़ों और हार्ट पर पड़ता है।
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इन बातों का रखें ध्यान
सेप्टिक टैंक की मैनुअल तरीके से सफाई या किसी अन्य कारण से खोलने पर आधा घंटा तक ढक्कन हटाकर इंतजार करना चाहिए। इसके बाद ही नीचे उतरें। जहरीली गैस है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए माचिस की जलती हुई तीली डालकर देखना चाहिए। अगर आग लग जाए तो समझ लें गैस है। मेनहोल को खुला छोड़ने के बाद उसमें पानी का छिड़काव करना चाहिए। सफाई के लिए उतरे कर्मचारी मुंह पर आक्सीजन मास्क और सेफ्टी बेल्ट जरूर लगाएं। कमर में रस्सी जरूर बांधें, ताकि आपात स्थिति में ऊपर खड़ा साथी उन्हें फौरन बाहर निकाल सकें। टार्च ले जाना चाहिए।
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