यात्रा साहित्य के पितामह थे महापंडित राहुल सांकृत्यायन
राहुल का जन्म आज के ही दिन 1893 में आजमगढ़ में हुआ था।
कुशीनगर : महापंडित राहुल सांकृत्यायन हिदी यात्रा साहित्य के पितामह थे। बौद्ध साहित्य को समृद्ध बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
यह विचार विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने उनकी 127 वीं जयंती पर गुरुवार को अपने आवास पर उनके चित्र पर पुष्पार्चन करने के बाद व्यक्त किया। कहा कि राहुल का जन्म आज के ही दिन 1893 में आजमगढ़ में हुआ था। उन्होंने पहले वैष्णव धर्म की दीक्षा ली, फिर आर्य समाज से जुड़ गए। बौद्ध धर्म के अध्ययन के बाद वे बौद्ध हो गए। आधुनिक हिदी साहित्य में वे एक साम्यवादी चितक, पत्रकार, इतिहासकार, तत्वान्वेषी, युग परिवर्तनकार साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं। अध्ययन के लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक की यात्रा की। मध्य एशिया व काकेशस भ्रमण पर भी यात्रा वृतांत सहित लिखे। लगभग 150 पुस्तकें लिखकर बौद्ध साहित्य को समृद्ध किया। जय अवधेय, सिंह सेनापति, वोल्गा से गंगा तक आदि उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं।
सभासद राम अधार यादव, केशव सिंह ने कहा कि राहुल ने कुशीनगर में बुद्ध जयंती समारोह प्रारंभ कराया था। बाबू चकमा, अनिल कुमार मल्ल, अच्छे लाल मौर्य, राजन कुमार दूबे।प्रमोद पांडेय, शक्ति प्रकाश पाठक, रामबालक आदि उपस्थित रहे।
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