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अब कप में नहीं कुल्हड़ में चाय मिलेगी साहब

पालीथिन व थर्माकोल के प्रयोग पर रोक लगाने की मुहिम के बीच प्रशासन ने एक नई पहल की है। सरकारी आयोजनों पर कप की जगह कुल्हड़ के प्रयोग की बात कही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 11:13 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 11:13 PM (IST)
अब कप में नहीं कुल्हड़ में चाय मिलेगी साहब
अब कप में नहीं कुल्हड़ में चाय मिलेगी साहब

कुशीनगर : पालीथिन व थर्माकोल के प्रयोग पर रोक लगाने की मुहिम के बीच प्रशासन ने एक नई पहल की है। सरकारी आयोजनों पर कप की जगह कुल्हड़ के प्रयोग की बात कही है। जिलाधिकारी ने इसकी शुरुआत शासन के दो महत्वपूर्ण आयोजनों, संपूर्ण समाधान दिवस व थाना समाधान दिवस से करने का निर्देश भी दे दिया है। इसके बाद यह प्रयोग सभी सरकारी आयोजनों पर लागू होगा। इस प्रयोग की सफलता के बाद प्रशासन मिट्टी से बने अन्य सामान के प्रोत्साहन को लेकर अन्य पहलुओं पर भी विचार करेगा। इस पहल से यह साधने की भी कोशिश की जाएगी कि गांव में मिट्टी का कार्य करने वाले हुनरमंद हाथों को गांव में ही रोजगार मिले और इनके परिवारों में खुशहाली आए। अब तक होने वाली सभी सरकारी आयोजनों में चाय के लिए कप का ही प्रयोग होता आ रहा है। इस कदम से प्रशासन एक साथ तीन लक्ष्य साधने की कोशिश में हैं, मिट्टी कला को बढ़ावा देना, गांव में रोजगार का वातावरण खड़ा करना व पर्यावरण संरक्षण।

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जिले के 30 हजार कुम्हार हाथों को मिलेगी मजबूती

- एक गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में 30 हजार लोग कुम्हारी कला से जुड़े हैं, जो कुल्हड़ बनाने के साथ मिट्टी के अन्य सामान बनाते हैं। वर्तमान में प्लास्टिक व थर्माकोल के बर्तन के प्रयोग से इनके सामने रोजगार का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में यह प्रशासनिक कदम इनको संजीवनी देने का कार्य कर सकता है।

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सरकारी दफ्तरों में भी कुल्हड़ के प्रयोग पर दिया जाएगा बल

- इन सरकारी आयोजनों के बाद सरकारी दफ्तरों में भी कुल्हड़ का प्रयोग करने पर बल दिया जाएगा, ताकि आने-जाने वाले अन्य लोग भी इसके प्रयोग को लेकर जागरूक हो सकें। मिट्टी कला को बढ़ावा देने व पर्यावरण संरक्षण का संदेश शहर लेकर गांवों तक पहुंचे।

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शासन की मंशा के अनुरूप किया अभिनव प्रयोग : डीएम

- जिलाधिकारी डा. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि मिट्टी कला को बढ़ावा देने, प्लास्टिक व थर्माकोल के बर्तनों पर रोक लगाने व पर्यावरण संरक्षण को लेकर यह अभिनव प्रयोग किया गया है। शासन की मंशा के अनुरूप यह पहल की गई है। इसके बाद अन्य आयोजनों व सरकारी दफ्तरों में भी मिट्टी के बर्तन के प्रयोग की पहल की जाएगी। इससे गांवों में रोजगार का सृजन भी होगा।

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