Kushinagar News: तबाही की लहरों ने लूट लिया घर-बार, शरणार्थी बन गए 240 परिवार; नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ
दस वर्ष पूर्व नारायणी नदी के कटान के चलते बेघर हुए सेवरही ब्लाक के पिपराघाट के चार टोलों के 240 परिवार खानाबदोश का जीवन जी रहे हैं। रोज कटान के दर्द को महसूस कर रहे हैं। उस समय इन परिवारों को दवनहां गांव के पास सिंचाई विभाग की भूमि में प्रशासन ने बसा तो दिया लेकिन पुनर्वास की कार्रवाई अब तक पूरी नहीं हो सकी है।
जागरण संवाददाता, सेवरही। दस वर्ष पूर्व नारायणी नदी के कटान के चलते बेघर हुए सेवरही ब्लाक के पिपराघाट के चार टोलों के 240 परिवार खानाबदोश का जीवन जी रहे हैं। रोज कटान के दर्द को महसूस कर रहे हैं। उस समय इन परिवारों को दवनहां गांव के पास सिंचाई विभाग की भूमि में प्रशासन ने बसा तो दिया, लेकिन पुनर्वास की कार्रवाई अब तक पूरी नहीं हो सकी है। बाढ़ पीड़ित बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं।
एपी बांध के किनारे बसे उक्त गांव के 22 टोले थे। 2013 में चार टोले 70 परिवारों वाला नान्हू टोला, 70 परिवारों वाला फल टोला, 50 परिवारों वाला गोवर्धन टोला व 50 परिवारों वाला भंगी टोला कटान का शिकार होकर नदी की धारा में विलीन हो गए। उस समय सेवरही कस्बा के निकट दवनहा नहर और उसकी शाखा के बीच सिंचाई विभाग की जमीन पर इन परिवारों को बसा दिया गया। इसके बाद इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया।
बुनियादी सुविधाओं से वंचित इन बाढ़ पीड़ितों को सरकारी मदद तो दूर आज तक तहसील प्रशासन द्वारा पट्टा तक जारी नहीं किया गया। केंद्र व प्रदेश की सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं, लेकिन इन परिवारों को लाभ नहीं मिल पाता। राशन कार्ड न मिल पाने से खाद्यान्न नहीं मिल पाता। मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूरी का अवसर नहीं प्राप्त होता।
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इन लोगों का घर व खेत सब कुछ कटान की भेंट चढ़ जाने के बाद मजदूरी ही रोजी-रोटी का एक मात्र साधन है। छांगुर चौहान, उमा देवी, पौधरिया देवी, लालती देवी, सुदामा चौहान, रामनरेश, ओमप्रकाश, शंकर आदि ने बताया कि आज तक कोई सुविधा नहीं मिली। दैनिक मजदूरी न की जाए तो चूल्हा भी नहीं जल पाएगा। राशनकार्ड, बिजली, पानी, शौचालय, आवास जैसी सुविधाएं हमसे काफी दूर हैं।
अब तक पट्टा क्यों नहीं मिला है। यह मामला गंभीर है। इसके लिए तहसील प्रशासन से बातचीत की जाएगी। पुनर्वास की व्यवस्था कराई जाएगी।
- उमेश मिश्र, जिलाधिकारी
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