पराली जलाने से कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की सुरक्षा को खतरा, अथारिटी ने जिला प्रशासन को लिखा पत्र
कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट में स्थित भारत पेट्रोलियम का पंप और आसपास के इलाकों में किसानों द्वारा जलाए जा रहे पराली खतरे की घंटी से कम नहीं है इसकी एक चिंगारी भी उड़कर पहुंची तो तबाही मचा देगी। ऐसे में एयरपोर्ट अथॉरिटी ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा है।
कुशीनगर, जागरण संवाददाता। आसपास के गांवों में गेहूं व धान की फसल की कटाई के बाद पराली जलाने के कारण कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की सुरक्षा को लेकर खतरा खड़ा हो गया है। एयरपोर्ट प्रशासन ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर पराली जलाने पर रोक लगाए जाने की मांग की है। एयरपोर्ट पर भारत पेट्रोलियम का पंप भी स्थित है। बीते माह पंप के नजदीक के खेतों में गेहूं की फसल की कटाई के बाद किसानों ने पराली जला दी थी। इसके बाद एयरपोर्ट प्रशासन में हड़कंप की स्थिति हो गई थी।
एयरपोर्ट प्रशासन इस बात से चिंतित है कि पंप पर हमेशा अत्यंत ज्वलनशील डिस्टिलेट लिक्विड (शुद्ध तरल) का स्टाक रहता है। ऐसे में उड़कर आई एक चिंगारी भी खतरनाक हो सकती है। एयरपोर्ट प्रशासन की दूसरी चिंता पराली जलने से निकलने वाले धुएं से है। वातावरण में पराली का धुंआ छा जाने के दृश्यता कम हो जाती है। इस कारण जहाज के टेक आफ व लैंडिंग के दौरान समस्या उत्पन्न होती है।
बनने लगा वाटर टैंक
एयरपोर्ट अथारिटी ने अग्निशमन भवन के पास वाटर टैंक व ट्यूबवेल का निर्माण कार्य शुरू करा दिया है। वाटर टैंक के होने से अग्निशमन वाहनों को पानी मिलने में सहूलियत होगी। एक साल के भीतर वाटर टैंक बनकर तैयार हो जाएगा। आपात स्थिति से निपटने के लिए एयरपोर्ट पर तीन अग्निशमन वाहन तैनात है। पानी मिलने में इन्हें दिक्कत होती थी। पर टैंक व ट्यूबवेल के बन जाने के बाद समस्या हल हो जाएगी।
क्या कहते हैं अधिकारी
एसडीएम कसया रत्निका श्रीवास्तव ने बताया कि एयरपोर्ट अथारिटी की चिंता जायज है। एयरपोर्ट के आसपास गांव में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने से एयरपोर्ट को खतरा हो सकता है। हवाई जहाजों के परिसंचलन में भी पराली से उठने वाला धुंआ अवरोध पैदा करता है। इसे देखते हुए राजस्व विभाग की एक टीम गठित की गई है। वह अथारिटी के अधिकारियों से संपर्क कर पराली नहीं जलाने के लिए किसानों को जागरूक कर रही है।
एयरपोर्ट निदेशक राजेंद्र प्रसाद लंका ने बताया कि जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया है। आसपास के गांवों व स्कूल कालेजों में जागरूकता गोष्ठी में संवाद कर और कानून का उपयोग कर इस समस्या का हल निकलेगा। इसके लिए सभी को समन्वित प्रयास करना चाहिए।