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    कुशीनगर में पराली जलाने को लेकर प्रशासन सख्त, 32 किसानों पर लगा जुर्माना

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 12:40 PM (IST)

    कुशीनगर जिले में पराली जलाने की घटनाओं पर प्रशासन सख्त हो गया है। हाटा और कप्तानगंज तहसील में 32 किसानों पर 1.6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। डीएम ने पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं और बिना प्रबंधन यंत्रों के धान कटाई कर रहे हार्वेस्टरों को सीज़ करने को कहा है। पराली जलाने से पर्यावरण और मिट्टी को नुकसान होता है।

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    अब तक 92 स्थानों पर जलाने की मिली रिपोर्ट। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, पडरौना। धान की कटाई के बाद पराली जलाने की घटनाएं नवंबर में तेजी से बढ़ी हैं, जिससे पूरे क्षेत्र की वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हो रही हैं। इसको लेकर जिला प्रशासन भी सख्ती पर उतर आया है। गुरुवार को तहसील हाटा में 14 व कप्तानगंज में 18 किसानों के विरुद्ध एक लाख 60 हजार रुपये जुर्माना अधिरोपित किया है।

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    गुरुवार को उप कृषि निदेशक अतिंद्र सिंह ने बताया कि जनपद में पराली जलाने की घटनाओं में निरंतर वृद्धि को रोकने के लिए कठोर कदम उठाते हुए किसानों पर जुर्माना अधिरोपित करने की बड़ी कार्रवाई की जा रही है। अब तक पराली जलने की 92 स्थानों की रिपोर्ट मिली है।

    बताया कि डीएम महेंद्र सिंह तंवर ने राजस्व एवं कृषि विभाग के अधिकारियों को पराली जलाने की घटना पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। बिना स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम या पराली प्रबंधन के यंत्र के साथ धान कटाई कर रहे कंबाइन हार्वेस्टरों को तत्काल सीज़ करने के निर्देश हैं।

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    पर्यावरण व मिट्टी को गंभीर नुकसान
    पराली जलाने से वायुमंडल में अत्यंत सूक्ष्म कणों की मात्रा बढ़ जाती है, जो श्वसन तंत्र में गहराई तक प्रवेश कर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करते हैं।पर्यावरण के साथ-साथ, पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी भारी क्षति पहुंचती है। तीव्र गर्मी के कारण मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों को क्षति पहुंचती है।

    निगरानी व जुर्माने का प्रावधान
    इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए, प्रशासन ने पराली जलाने वालों पर सख्त जुर्माना लगाने के आदेश दिए हैं। खेत के रकबे के अनुसार यह जुर्माना 2500 से लेकर 15,000 तक हो सकता है। प्रशासन अब सैटेलाइट निगरानी और ज़मीनी स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति के माध्यम से घटनाओं पर कड़ी नज़र रख रहा है।