हलाला से नारकीय होता मुस्लिम महिलाओं का जीवन
कुशीनगर की सामाजिक कार्यकर्ता फातिमा बेगम ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में फैली सामाजिक कुरीति हलाला से महिलाओं का जीवन नारकीय हो जाता है

कुशीनगर : कुशीनगर की सामाजिक कार्यकर्ता फातिमा बेगम ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में फैली सामाजिक कुरीति हलाला से महिलाओं का जीवन नारकीय हो जाता है। इससे मुस्लिम महिलाओं को आघात पहुंचता है तो वे मानसिक रूप से अपने को पीड़ित महसूस करती हैं। केंद्र सरकार को चाहिए कि संसद में कानून बना कर इस कुप्रथा को समाप्त करे। तीन तलाक, हलाला व बहु विवाह प्रथा पर बेवाक टिप्पणी करते हुए बेगम ने कहा कि यह सामाजिक कुरीति है। इससे मुस्लिम महिलाओं के अधिकार का हनन होता है और पुरुष मनमानी करते हैं। कहा कि किसी भूलवश पहले पति द्वारा तलाक दे दिए जाने के बाद उनसे दोबारा निकाह करने के पूर्व महिला को इस कुप्रथा का पालन करना पड़ता है। यह कहां तक उचित है कि अपने तलाकशुदा पति को पाने के लिए किसी महिला को दूसरे पुरुष से निकाह और हलाला करना पड़े। सबसे विकट परिस्थिति उन महिलाओं के समक्ष खड़ी होती है, जिनके छोटे बच्चे रहते हैं। उनके भरण-पोषण के लिए दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता तो बेवजह मायके पक्ष के लोग भी तंग होते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता फातिमा ने जागरण से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को कड़ा निर्णय लेकर हलाला की प्रथा को बंद करते हुए मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का हक दिलाना चाहिए। उन्होंने पीएम मोदी से मांग की कि जरूरत पड़े तो नया कानून बना कर इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करने में महिलाओं की मदद करें।

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