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    कुशीनगर में नाबालिग से दुष्कर्म मामले में दोषी को 20 साल की सजा, 3 लाख रुपये लगा जुर्माना

    Updated: Tue, 09 Dec 2025 06:17 PM (IST)

    कुशीनगर में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट ने आरोपी को 20 वर्ष की सजा सुनाई। अदालत ने अभियुक्त पर 3.1 लाख रुपये का अर्थद ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, कुशीनगर। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट एवं अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार की अदालत ने नाबालिक से दुष्कर्म के मामले में आरोपित को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष की सजा सुनाई। अदालत ने अभियुक्त को तीन लाख दस हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है। अर्थदंड की 80 प्रतिशत धनराशि पीड़िता के अभिभावक को दिए जाने का आदेश दिया है।

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    न्यायालय में विशेष शासकीय अधिवक्ता संजय कुमार तिवारी व सुनील कुमार मिश्र ने मंगलवार को बताया कि वादी ने आठ जून 2022 को जटहाबाजार थाने में सूचना दी कि उनकी नाबालिग पुत्री सात जून की रात 12 बजे दरवाजे पर स्थित शौचालय से निकल रही थी। इस बीच ध्रुप राय उसका मुंह दबाकर नजदीक के गन्ने के खेत में ले जाकर दुष्कर्म किया।

    पीड़िता के शोर मचाने पर उसने जान की धमकी दी। मामले में मुकदमा पंजीकृत कर पुलिस ने जांच की। साक्ष्य संकलन तथा विवेचना कर पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। जहां दाखिल पत्रावली, पेश सबूतों तथा दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश ने आरोपित को दोषी करार दिया।

    कोर्ट ने कहा कि नारी की मर्यादा को आघात पहुंचाने वाले क्षमा के पात्र नहीं हाेते। दुष्कर्म जैसे घिनौना अपराध कर अभियुक्त ने न सिर्फ नारी जाति की मर्यादा को प्रभावित किया है बल्कि पीड़िता व उसके स्वजन के सामाजिक सम्मान पर भी चोट पहुंचाई है। जिसकी पीड़ा पीड़िता व उसके परिवार को जीवन भर रहेगी।

    विधि विज्ञान प्रयोगशाला का कृत्य गैर जिम्मेदाराना:कोर्ट

    दुष्कर्म के इस मामले में सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला गोरखपुर का कृत्य गैर जिम्मेदाराना है। प्रकरण में पीड़िता की डीएनए जांच के लिए 15 जून 2022 को सैंपल प्रयोगशाला भेजा गया था।

    जांच रिपोर्ट प्राप्त न होने पर सीओ सदर की ओर से प्रयोगशाला के संयुक्त निदेशक को 14 नवंबर 2025 को पत्र लिखकर पीड़िता की जांच से जुड़ी आख्या मांगी गई।

    15 नवंबर को प्रयोगशाला की ओर से जानकारी दी गई कि अभियोग परीक्षण क्रम पर नहीं आया है। साढ़े तीन वर्ष से अधिक समय के बाद भी रिपोर्ट का परीक्षण क्रम पर न आना विधि विज्ञान प्रयोगशाला की शिथिल कार्रवाई को उजागर करने वाला है।