बौद्ध धर्मगुरु भदंत ज्ञानेश्वर का निधन, अनुयायियों में शोक की लहर; म्यांमार बुद्ध विहार में रखा जाएगा पार्थिव शरीर
बौद्ध धर्मगुरु भदंत ज्ञानेश्वर का निधन हो गया है, जिससे उनके अनुयायियों में शोक की लहर है। उनका पार्थिव शरीर 10 नवंबर तक म्यांमार बुद्ध विहार में दर्शन के लिए रखा जाएगा। विहार में उनके अंतिम दर्शन के लिए विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जा रहा है।

बौद्ध धर्मगुरु अग्गमहापंडित भदंत ज्ञानेश्वर महाथेरो। जागरण
जागरण संवाददाता, कसया। अंतरराष्ट्रीय ख्याति के बौद्ध धर्मगुरु, कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष व म्यांमार बौद्ध विहार कुशीनगर के प्रमुख 89 वर्षीय अग्गमहापंडित भदंत ज्ञानेश्वर महाथेरो का शुक्रवार को सुबह लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। हालत बिगड़ने पर 11 अक्टूबर को उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया था।
अनुयाइयों के दर्शन के लिए दिवंगत बौद्ध धर्म गुरु का पार्थिव शरीर बौद्ध विहार परिसर में 10 नवंबर तक सुरक्षित रखा जाएगा। धर्म गुरु के निधन से कुशीनगर सहित देश दुनिया में रह रहे उनके लाखों अनुयाइयों में शोक की लहर दौड़ गई है। दो वर्ष पूर्व म्यांमार की सरकार ने विशिष्ट धार्मिक उपाधि अभिधजामहारथागुरु से उन्हें अलंकृत किया था।
इसके अतिरिक्त सरकार ने उन्हें अग्गमहापंडित, अग्गमहासधम्माजोतिका गुरु, अभिधज्ज़ामहारथारा गुरु सहित अनेक प्रतिष्ठित धार्मिक उपाधियां प्रदान की थी। ज्ञानेश्वर को पांच अगस्त 1963 को गुरु भिक्षु चन्द्रमणिमहाथेरो ने कुशीनगर में दीक्षा दी थी। तब से वह यहीं रह रहे थे।
वर्ष 1972 में गुरु के निर्वाण के बाद वह उत्तराधिकारी बने और म्यांमार बौद्ध विहार के प्रमुख के रूप में दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे। निधन की खबर मिलते ही लोग उनके व्यक्तित्व व कृतित्व की चर्चा करते दिखे। कुशीनगर के पर्यटन विकास व बुद्ध पीजी कालेज प्रबंध समिति उपाध्यक्ष के रूप में कालेज के विकास, रखरखाव, भवन निर्माण व आस पास के विद्यालयों के व्यवस्थित संचालन में योगदान की लोग सराहना करते दिखे।
स्व. ज्ञानेश्वर के शिष्य भंते अशोक ने बताया कि उनके अंतिम दर्शनार्थ एवं दाह संस्कार में भाग लेने के लिए विश्व के अनेक देशों से अनुयाई आ रहे हैं।

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