सावधान! विकिरण से बिगड़ रही सेहत

कुशीनगर : यदि आप मोबाइल धारक हैं या फिर आपके आसपास मोबाइल के टावर लगें हैं तो यह खबर आपके लिए खास है। विकिरण बिखेर रहे ए दोनो ही मानव के लिए खतरा साबित हो रहे हैं। इसके अशुभ लक्षण दिखने भी लगे हैं। केंद्र सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है तो विकिरण से बढ़ते खतरे पर कोर्ट ने भी भृकुटि टेढ़ी है। खतरे की घंटी बज रही है।
केंद्र सरकार ने मोबाइल कंपनियों को कड़ा दिशा निर्देश जारी किया है कि वे मोबाइल टावर (बीटीएस : बेस ट्रांसरिवर स्टेशन) उस स्थान पर ही लगाएं जहां आवासीय क्षेत्र न हो। साथ में मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को भी कड़े लहजे में चेताया है कि वे ऐसे हैंडसेट तैयार करें जिनसे उपभोक्ताओं को विकिरण से उत्पन्न हो रहे खतरे से बचाया जा सके। बावजूद इसके कुशीनगर के नगरीय, उप नगरीय, कस्बों, गांवों की घनी बस्तियों में लगे टावर नागरिकों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। चिंता की बात है कि धन की लालच में पड़कर सीधे सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा हैं। मुंह मांगे किराए के लिए घर की छतों पर धड़ल्ले से टावर लगवाए जा रहे हैं।
कस्बाई इलाके ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी घर के आसपास व पिछवाड़े टावर स्थापित कराने की मानो होड़ लगी है। बताते हैं कि इसके पीछे कारण प्रमुख है कि एक तो उन्हें अच्छा किराया मिल जाता है और दूसरा टावर के लिए चलने वाले जेनरेटर से मुफ्त में बिजली की सुविधा मिल जाती है, लेकिन उनमें से अधिकतर लोग विकिरण के खतरे से अनजान हैं। यह अदृश्य विकिरण शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर खासा प्रभाव डाल रही है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की आशंका बढ़ गई है तो हृदय रोग के लक्षण स्वस्थ्य मनुष्य में भी दिखने लगे हैं। विकिरण के प्रभाव से हृदय का संकुचन बढ़ रहा है जिससे सांस लेना मुश्किल होने लगा है। सच कहें तो सुविधा के नाम पर आम आदमी बीमारियों को मोल ले रहा है।
कुशीनगर में हैं 680 बीटीएस
-पडरौना, हाटा, कसया व तमकुहीराज तहसीलों वाले कुशीनगर जिले को भारत संचार निगम ने पडरौना, कसया व कप्तानगंज सब डिविजन में विभाजित कर लगभग 85 मोबाइल टावर स्थापित कर क्षमतावान बीटीएस स्थापित किए हैं। बीएसएनएल के अलावा जिले में रिलायंस, एयरटेल, आइडिया, वोडाफोन, यूनिनार, टाटा डोकोमो, एयरसेल के लगभग 595 बीटीएस लगाए गए हैं। इन संचालित बीटीएस में अनुमानित 10 फीसद संयुक्त रूप से एक ही टावर पर कार्य कर रहे हैं। स्थापित बीटीएस में 40 फीसद शहरी, 25 फीसद कस्बाई व 35 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में लगे हैं।
घनघना रहे पांच लाख मोबाइल
-वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुशीनगर की आबादी 36 लाख को पार कर रही है। त्वरित संदेश व बहुपयोगी सुविधा के नाते मोबाइल विलासिता की न रहकर आवश्यकता की वस्तु बन गई है। इसी नाते उच्च व मध्यम वर्गीय परिवारों में हर सदस्य के पास मोबाइल मौजूद है। सहजता व जरुरत बनी तो किसान, फेरीवाले, मोची, फुटपाथिए ही नहीं मजदूर वर्ग भी मोबाइल रखने लगा है। विभागीय सूत्रों की माने तो कुशीनगर में बीएसएनएल व निजी सेवा प्रदाता कंपनियों के लगभग पांच लाख उपभोक्ता है। इनकी संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है।
चिंतित हैं चिकित्सक
-मोबाइल व मोबाइल टावरों से निकल रहे विकिरण का सीधा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ने से चिकित्सक हैरान व चिंतित हैं। चिकित्सक डा. वीपी नरसरिया कहते हैं विकिरण से मस्तिष्क व हृदय पर खासा असर पड़ रहा है। इससे कैंसर होने की बात भी सामने आने लगी है। श्री नरसरिया बताते हैं कि ज्यादा समय तक मोबाइल से बात करने पर कान व हाथ की समस्याएं भी स्थाई रूप धारण करने लगी हैं। इनके रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। चिकित्सक डा. संदीप अरुण श्रीवास्तव रेडिएशन को मानव के सेहत का दुश्मन मानते हैं। ये हैं कि मेडिकल साइंस ने साबित किया है कि विकिरण का घातक प्रभाव ब्रेन, हृदय व प्रजनन शक्ति पर सीधे पड़ रहा है। ब्रेन ट्यूमर के मामले भी सामने आए हैं। कहते हैं आवश्यकता बन चुकी मोबाइल का प्रयोग बंद नहीं हो सकता लेकिन बचाव से सेहत को संवारा जा सकता है। डा. श्रीवास्तव उपाय सुझाते हैं कि शर्ट के बाएं जेब में मोबाइल न रखें, ज्यादे देर तक बात न करें। कार्य करते समय मोबाइल को जेब से बाहर निकाल दें। अच्छी क्वालिटी का ब्लूटूथ इस्तेमाल करें।
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