लक्ष्य के बिना जीवन अधूरा
कुशीनगर: यदि जीवन में लक्ष्य नहीं है तो फिर पूरा जीवन ही अधूरा है। सुखी जीवन के लिए लक्ष्य का निर्धा
कुशीनगर: यदि जीवन में लक्ष्य नहीं है तो फिर पूरा जीवन ही अधूरा है। सुखी जीवन के लिए लक्ष्य का निर्धारण बहुत जरूरी है। लक्ष्यविहीन जीवन, बिना दिशा की दौड़ की तरह होता है, जो केवल दुख की ओर ले जाता है। ऐसे में हमको अपने जीवन में अपने लक्ष्य के साथ ही आगे बढ़ना चाहिए।
-----लक्ष्य से जीवन को मिलती है सही दिशा
जीवन में यदि लक्ष्य न हो तो फिर जीवन का कोई मतलब ही नहीं है। जीवन तो लक्ष्य से ही जुड़ा है। लक्ष्य निर्धारित करके ही हम अपने जीवन को सही दिशा दे सकते हैं। प्रत्येक महान व्यक्ति ने लक्ष्य का निर्धारण कर अपने जीवन को उंचाई ही नहीं दी बल्कि उनके सार्थक जीवन ने समाज व देश को बहुत कुछ दिया है। एक नई दिशा दी। ऐसे में जीवन में लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है।
-आरसी मिश्र, प्रधानाचार्य, केंद्रीय विद्यालय
-------जीवन को सुखमय बनाता है हमारा लक्ष्य
लक्ष्यविहीन जीवन कभी आपको सुख नहीं दे सकता। सुखी जीवन के लिए जीवन में लक्ष्य अत्यंत आवश्यक है। आज के दौर में हम जीवन के अपने उन लक्ष्यों से दूर होते जा रहे हैं जो हमारे जीवन को सुखी बना सकते हैं। इसको ध्यान में रखना होगा कि यदि हम लक्ष्य से दूर हुए तो जीवन के सुख से भी दूर हो जाएंगे। सही कहा जाए तो जीवन एक लक्ष्य ही है, जिसको पूरा करना है।
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-अर्चना गुप्ता, शिक्षिक, राजमणि इंटर कालेज नेबुआनौरंगिया।
------लक्ष्य के बिना दिशाहीन हो जाएगा जीवन
हमें जीवन के साथ अपने लक्ष्य को साधने का प्रयास करना चाहिए। यदि जीवन की दौड़ हमारे अपने लक्ष्य की ओर है तो जीवन में सुख का बसेरा रहेगा। यदि ऐसा नहीं है तो फिर जीवन के सुखी होने की कल्पना ही नहीं की जा सकती। आज हम तेजी से भागते जीवन में लक्ष्य को पीछे लेकर खड़े रह जाते हैं और जीवन निरर्थक दौड़ का हिस्सा भर बनकर रह जाता है। जीवन और उससे जुड़ा लक्ष्य, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लक्ष्य के बिना जीवन को कोई मतलब ही नहीं होता।
----सुरेश गुप्त, शिक्षक, बुद्ध इंटरमीडियट कालेज कुशीनगर
--------लक्ष्य ही देता है जीवन को सही रास्ता
पढ़ाई के साथ ही हम अपने जीवन के लक्ष्य को तय कर आगे बढ़ेंगे तभी सफलता मिलेगी। बिना लक्ष्य के जीवन, हमें उस ओर ले जाता है, जहां केवल दुख होता। सुख को पाने के लिए तो जीवन में सकारात्मक लक्ष्यों का समावेश होना ही चाहिए।
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आदित्य पाण्डेय, भारतीय इंटरमीडियट कालेज पडरौना, कक्षा 7
------दिशाहीन होता है लक्ष्यविहीन जीवन
लक्ष्यविहीन जीवन पूरी तरह से दिशाहीन होता है। दिशाहीन जीवन का कोई अर्थ नहीं होता। इसलिए लक्ष्य को लेकर ही जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। हमारे जीवन के जो लक्ष्य हैं, उसे हमें समझना चाहिए। जब हम उसको समझ लेंगे तो हमारा जीवन सुखमय हो जाएगा।
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अनामिका, लक्ष्मीबाई इंटर कालेज पाडरौना, कक्षा 11
--------लक्ष्य के साथ ही जीवन की सार्थकता
लक्ष्य के बिना कुछ नहीं है। ऐसे में जीवन में लक्ष्य को तय करके ही आगे बढ़ना चाहिए। हमारा जीवन और उसका लक्ष्य एक साथ चलें तभी जीवन सुखमय होगा। हमें शुरू से ही बताया जाता है। इस पर अमल करना होगा। जब हम अमल करेंगे तो हमारे जीवन में सुख होगा और हम मंजिल तक पहुंचेंगे। बाल्यकाल से ही इसको समझने की जरूरत है।
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चंदन चौधरी, कक्षा 8, तपेश्वरी विद्या मंदिर पडरौना
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