यहा होती है रावण संहिता की पूजा
कुशीनगर : यहां रावण संहिता और रावण की पूजा होती है, ग्रंथ में सचित्र मौजूद है रावण की तस्वीर भी। ब्र
कुशीनगर : यहां रावण संहिता और रावण की पूजा होती है, ग्रंथ में सचित्र मौजूद है रावण की तस्वीर भी। ब्रह्मामुहुर्त से ही मंत्र के फूटते स्वर के थमते ही उन लोगों में अपने व परिवार के ग्रह नक्षत्र जानने-समझने की उत्सुकता बढ़ जाती है, जो आसपास के अलावा सुदूर जगहों से पहुंचते हैं। दिन ढलते ही दुर्लभ इस ग्रंथ की होने वाली महाआरती में भी लोग शामिल होते हैं। मान्यता है कि इस ग्रंथ के जरिए इसके उपासक संसार के सभी प्रकार के कारकों (समस्या) का हल आसानी से बता देते हैं।
यह होता है कुशीनगर जनपद में सदर ब्लाक के अन्हारी बारी गाव निवासी अजय पाठक उर्फ भूतनाथ के यहां। वह अपने घर में रावण द्वारा लिखी गई रावण संहिता की दोनों समय पूजा करते हैं तथा सामने रखकर आरती भी करते हैं। पूजा और आरती के समय अगल-बगल के लोग उपस्थित तो रहते ही हैं, यदि उस समय कोई अपने या परिवार के बारे में ग्रह नक्षत्र जानने-समझने के लिए आया हुआ रहता है तो वह भी पूजा में शामिल हो जाता है।
धार्मिक व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सात अध्यायों वाला रावण संहिता अद्वितीय व दुर्लभ ग्रंथ है। संस्कृत भाषा में रचित ग्रंथ के अध्याय एक में मंत्र, तंत्र का उल्लेख है, जबकि अध्याय दो में कुमार तंत्र (आयुर्वेद के रहस्य) की चर्चा की गई है। अध्याय तीन से पांच तक ज्योतिष व उसके रहस्य के बारे में बताया गया है। इसी तरह ग्रंथ के अध्याय छह में कवच (शक्ति व अर्जन) तथा अध्याय सात में यंत्र का उल्लेख है। सुबह से ही यहां आने वालों में आसपड़ोस के जनपदों के अलावा दूसरे प्रांत के लोग भी शामिल हैं, जो यहां अपनी समस्याओं के निराकरण की चाह लिए आते हैं। रावण संहिता में आयुर्वेद से संबंधित कुमार तंत्र की विशेषता बताते हुए वह कहते हैं कि इसमें शरीर के समस्त रोगों के साथ ही उनके निवारण के उपाय हैं। इसका अनुसरण कर व्यक्ति अपना कायाकल्प कर सकता है। वहीं कवच मानव जीवन की जटिलताओं को सहज बना देता है।
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क्या है रावण संहिता
पडरौना : रावण संहिता ज्योतिष, मंत्र, तंत्र, यंत्र, कवच व आयुर्वेद का अद्वितीय ग्रंथ है। भगवान शिव के परमभक्त रावण ने इस ग्रंथ की रचना की थी। ग्रंथ में शक्ति (भगवती) का वर्णन है। ग्रंथ इस बात का द्योतक है कि शक्ति को प्राप्त करने के लिए रावण ने यह सिद्धी प्राप्त की थी। ग्रंथ में संसार के समस्त समस्याओं के निदान का उपाय भी बताया गया है।
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हस्तलिखित है रावण संहिता
पडरौना : अजय पाठक को रावण संहिता राजस्थान के जोधपुर से विख्यात ज्योतिषाचार्य स्व.डा.नारायण दत्त श्रीमाली जी से 1984 में मिला था। हस्तलिखित इस ग्रंथ के छह वर्षो के अध्ययन उपरांत वर्ष 1990 से वह इसके जरिए जनसेवा करते आ रहे हैं।
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