इतना गोली मारो कि... किला को हवा महल बना दो, कौशांबी में 'लारेंस' नामक वाट्सएप ग्रुप में डान जैसी रील पोस्ट
कौशांबी जनपद में रीयल लाइन से निकल कर युवा वर्ग का रील लाइफ की तरफ तेजी से झुकाव हो रहा है। इन दिनों लारेंस नाम से बना व्हाट्सएप ग्रुप खूब चर्चा में हैं। ग्रुप में करीब 35 युवा जुड़े हैं। जो इसमें अपनी रील व फोटो पोस्ट कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, कौशांबी। रील लाइफ 'खलनायक' की तरह ब्रांडेड कपड़े, जूते, मोबाइल व बाइक की स्टंटबाजी...। जिले के युवाओं को जाने-अनजाने जुर्म के दलदल में धकेलती जा रही है। गैंग्सटर की पटकथा आधारित फिल्मों को युवा अपना आदर्श मान रहे हैं। हालात यह है कि जिले में इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हो रहा 'लारेंस' नाम से बना वाट्सएप ग्रुप चर्चा में है। प्रकरण संज्ञान में आने के बाद पुलिस इसकी जांच करा रही है।
रीयल लाइन से निकल कर युवा वर्ग का रील लाइफ की तरफ तेजी से झुकाव हो रहा है। खासकर 15 से 25 आयुवर्ग के लोग इस लत की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। आभासी दुनिया के भंवर जाल में युवा कुछ इस कदर उलझ चुके हैं, कि उन्हें अच्छे व गलत काम में फर्क ही समझ नहीं आ रहा है। अपनी इन्हीं शौक को पूरा करने के लिए युवा अपराध करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। फिलहाल इन दिनों 'लारेंस' नाम से बना वाट्सएप ग्रुप चर्चा में हैं। ग्रुप में करीब 35 युवा जुड़े हैं। जो इसमें अपनी रील व फोटो पोस्ट कर रहे हैं। हालांकि, दैनिक जागरण ऐसे किसी ग्रुप व पोस्ट रील आदि की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।
केस वन
नवंबर 2024 में सैनी क्षेत्र के पहाड़पुर कोदन गांव में 25 लाख की फिरौती वसूलने के लिए 11 वर्षीय बालक का अपहरण किया गया। बालक की बरामदगी के बाद पुलिस ने अपहर्ताओं काे गिरफ्तार कर जेल भेजा। घटना का मुख्य साजिशकर्ता टेवां गांव का अरविंद यादव था। लग्जरी गाड़ी में लाव-लश्कर के साथ ही असलहों का प्रदर्शन करते हुए अरविंद की कई रील इंटरनेट मीडिया में प्रसारित भी हो चुकी थी।
केस दो
पिछले दिनों पिपरी इलाके में एक बाइक पर चार लोगों का स्टंटबाजी करने का वीडियो इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हुआ था। मामले की जांच के बाद पुलिस ने स्टंटबाजी कर रहे युवक के खिलाफ केस दर्ज किया था।
क्या कहते हैं कौशांबी के एसपी
कौशांबी के एसपी राजेश कुमार का कहना है कि रील व स्टंटबाजी के मामले तेजी से बढ़े हैं। खासकर रील बनाने वाले खलनायक को अपना रोल माडल मान लेते हैं। यह परिपाटी गलत है। इससे जाने, अजनाने वह अपराध कर बैठते हैं। स्कूल-कालेजों में साइबर जागरूकता को लेकर कार्यक्रम किए जाते हैं। उसमें अब युवाओं को ऐसी हरकत से बाज आने की भी नसीहत दी जाएगी।
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