जल संरक्षण जरूरत भी है और कर्तव्य भी
जल ही जीवन है ये लाइन अक्सर ही सड़क किनारे लिखी हुई मिल जाती है लेकिन क्या सच में इंसान जल के महत्व को समझता है? ये एक गंभीर प्रश्न है। आज ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने पर सभी को वृक्षों की उपयोगिता समझ आ रही है। ठीक इसी प्रकार जब पीने को पानी नहीं नसीब होता और लोग प्यासे तड़पते हैं तब कहीं जाकर पानी की महत्ता समझ पाते हैं कि पानी कितना महत्वपूर्ण है।

संसू, टेढ़ीमोड़ : जल ही जीवन है ये लाइन अक्सर ही सड़क किनारे लिखी हुई मिल जाती है, लेकिन क्या सच में इंसान जल के महत्व को समझता है? ये एक गंभीर प्रश्न है। आज ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने पर सभी को वृक्षों की उपयोगिता समझ आ रही है। ठीक इसी प्रकार जब पीने को पानी नहीं नसीब होता और लोग प्यासे तड़पते हैं, तब कहीं जाकर पानी की महत्ता समझ पाते हैं कि पानी कितना महत्वपूर्ण है।
चाहे गाड़ी धोने में हो या सबमर्सिबल पंप का अंधाधुंध प्रयोग हो, इन सबसे लगता ही नहीं कि इंसान जल संरक्षण के लिए थोड़ा भी गंभीर है। जबकि जल संरक्षण करना आज की जरूरत के साथ-साथ हमारा कर्तव्य भी है कि हम आने वाली पीढि़यों को एक ऐसा पर्यावरण उपलब्ध करा सकें जहां पर्याप्त ऑक्सीजन व पीने का पानी उपलब्ध हो। जल संरक्षण का एक माध्यम अधिक से अधिक वृक्षारोपण भी है। कहते हैं बुद्धिजीवी
हम अपनी आदतों में थोड़ा-सा भी बदलाव कर लें तो पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। बस आवश्यकता है ²ढ़ संकल्प करने की तथा उस पर गंभीरता से अमल करने की। हैंडवाश में प्रयुक्त होने वाले जल को नाली बनाकर क्यारियों में सिचाई में उपयोग में लाया जा सकता है। साथ ही ड्रिप सिचाई द्वारा भी काफी पानी बचा सकते हैं।
- दीपनारायण मिश्र। हमने अक्सर लोगों को देखा है कि सबमर्सिबल पंप से ही अपने जानवर व गाड़ी को धोते हैं जिससे बहुत सारा पीने योग्य पानी बर्बाद हो जाता है। कई जगह पानी की सप्लाई वाला नल भी बहता देखने को मिलता है। यदि इन सब पर रोक लगा लें जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पानी की बर्बादी को रोकने के लिए संकल्प लेना होगा।
- पूनम सिंह। वर्ष जल संचयन की प्रणाली तो शुष्क क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हुई है। वर्षा जल संचयन की वर्तमान विधि के अंतर्गत छत, छप्पर एवं छज्जों से बहने वाली वर्षा जल को इस प्रकार संग्रहण करें कि वर्षा जल की एक-एक बूंद रिसकर धरती के अंदर चली जाय। इसके साथ हैंडपंप के आस पास सोख्ता पिट का भी निर्माण कराया जाना चाहिए।
- रघुनाथ द्विवेदी। जल संचयन को लेकर मंथन करने की आवश्यकता है। जिस प्रकार आज आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है। उसी प्रकार यदि जल की बर्बादी पर लोग गंभीर नही हुए तो आने वाले समय में गंभीर परिणाम होंगे। स्वच्छ वातावरण व जल संचयन के लिए वृक्षों को काटने से रोकने के साथ अधिक वृक्ष लगाकर पोषण करने का संकल्प लेना होगा।
- हरीओम सिंह।
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