अनदेखी से मिट रहा है गंगा किनारे जयचंद के किले का वजूद
कड़ा धाम पर गंगा किनारे राजा जयचंद का जो किला पर्यटकों को अपनी ओर खींच सकता है वह धीरे धीरे अपना वजूद खोता जा रहा है।
कौशांबी : कड़ा धाम पर गंगा किनारे राजा जयचंद का जो किला पर्यटकों को अपनी ओर खींच सकता है, वह धीरे धीरे अपना वजूद खोता जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी उदासीन हैं तो पर्यटन विभाग भी। गंगा में बाढ़ आने से किले के पास की मिट्टी हर साल कटती है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि किले के संरक्षण पर ध्यान न दिया गया तो इसका अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
कौशांबी जिला तमाम ऐतिहासिक स्थानों में समृद्ध है। कड़ा धाम व प्रभाष गिरि मुख्य स्थल हैं। कड़ा धाम में मां शीतला मंदिर, छत्रपाल भैरव मंदिर, हनुमान मंदिर, कालेश्वर महादेव मंदिर तो है ही, राजा जयचंद का किला भी है। यहां गैर जनपद व प्रांत के लोगों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सुविधा नहीं है। मोहम्मद एहसान, मकबूल, कामता निषाद, अमित आदि का कहना है कि गंगा नदी में बाढ़ आने पर किले के आस-पास की मिट्टी कटती है। इसकी जानकारी जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग के अधिकारियों को दी गई थी। फिर भी संरक्षण की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह स्थिति तब है जब धार्मिक स्थलों को विकसित करने के लिए तरह तरह के दावे हो रहे हैं और जिला प्रशासन ने कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजी है। इसके लिए 434 करोड़ की धनराशि की मांग की है।
भेजा गया प्रस्ताव, नहीं मिला धन
51 वीं शक्तिपीठ के रूप में मान्य मां शीतला का मंदिर, संत मलूक दास स्थल, राजा जयचंद का किला व ख्वाजा कड़कशाह की दरगाह के सुंदरीकरण के लिए पर्यटन विभाग ने 200 करोड़ की योजना बनाई थी। इससे संबंधित फाइल ठंडे बस्ते में है। 'शीतला धाम स्थित धार्मिक स्थलों व किले के सुंदरीकरण के लिए योजना तैयार कर धन की मांग की गई थी, लेकिन अब तक इस मद में राशि स्वीकृत नहीं हुई है। इस वजह से संरक्षण का कार्य नहीं हो पा रहा है।'
दिनेश कुमार सिह, उप निदेशक पर्यटन
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