Kaushambi News: पति की मौत के बाद बस ड्राइवर बन की नए सफर की शुरूआत, अपने कंधों पर लिया जिम्मेदारियों का भार
Kaushambi News मूलरूप से बिहार के बांका जिले की रहने वाली प्रियंका ने महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल पेश की है। 2016 में पति की मृत्यु के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी उनपर आ गई। अपनी मेहनत से उन्होंने बस चालक के रूप में एक नई पहचान बनाई।
मेरठ, जागरण संवाददाता: गाजियाबाद के कौशांबी डिपो के लिए चालक के रूप में भर्ती होकर प्रियंका ने महिला सशक्तिकरण की एक और मिसाल पेश की है। अब महिलाएं बस और ट्रक जैसे भारी वाहन चलाने में पीछे नहीं हैं। सोमवार को भैंसाली डिपो पर महिला बस चालक कौशांबी डिपो की बस लेकर पहुंची तो यात्री और स्टाफ अचरज से भरे नजर आए।
कौशांबी डिपो के एआरएम शिव बालक ने बताया कि प्रियंका की सह चालक के रूप में नियुक्त हुई है। इसके पहले उसे वर्कशाप में छह माह का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रियंका मूलरूप से बिहार के बांका जिले में थाना अमरपुर क्षेत्र के खरदौरी गांव की निवासी हैं। फिलहाल वह दिल्ली के शालीमार बाग के ब्लाक सी-ए में पिता और चाचा के साथ रहती हैं।
अनुभवी चालकों को भी मात देती है ये लेडी ड्राइवर
प्रियंका के दोनों बेटे भागलपुर में एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं और हास्टल में रहते हैं। एक बेटा चौथी व दूसरा पांचवीं कक्षा में है। इनका रोडवेज बस चालक बनने का सफर बेहद संघर्षपूर्ण है। दैनिक जागरण से बातचीत में प्रियंका ने बताया कि 2016 में बीमारी से पति की मृत्यु के बाद वह काम की तलाश में थी। फैक्ट्री में चाय तक बेची। दो बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी सामने आई तो उसने उस काम को चुना जिसे करने से आम तौर पर महिलाएं संकोच करती हैं।
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किसी परिचित ने उसे बताया कि ड्राइवर के रूप में अच्छे पैसे मिल जाते हैं तो उसने पहले कार और फिर ट्रक चलाने का प्रशिक्षण लिया। इसी बीच उप्र रोडवेज में महिला चालकों की भर्ती निकली तो प्रियंका ने आवेदन किया। जिसमें उसका चयन गाजियाबाद के कौशांबी डिपो के लिए हो गया। बस चालने में प्रियंका पुराने अनुभवी चालकों को भी मात देती हैं। यही कारण है उन्हें मेरठ और कौशांबी के बीच बस चलाने की जिम्मेदारी दी गई है।
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