कौशांबी में यमुना की बाढ़ से 37 गांवों में फसलें बर्बाद, सर्वे हो चुका है, अब किसानों को मिलेगा मुआवजा
कौशांबी में यमुना नदी की बाढ़ से तटवर्ती गांवों में फसलें बर्बाद हो गई हैं। कृषि विभाग ने नुकसान का आकलन कर शासन को रिपोर्ट भेज दी है। किसानों को 70 से 100 फीसद तक नुकसान हुआ है और अब उन्हें सरकार से मुआवजे का इंतजार है ताकि नुकसान की भरपाई हो सके।

जागरण संवाददाता, कौशांबी। यमुना नदी में आई बाढ़ से तटवर्ती क्षेत्र के करीब 37 गांव प्रभावित हुए हैं। यह गांव ऐसे हैं, जहां खेतों की फसलें 70 से लेकर 100 प्रतिशत तक नष्ट हुई हैं। शासन का आदेश मिलने के बाद जिला प्रशासन ने कृषि विभाग से बाढ़ की जद में आई खरीफ की फसल का सर्वे कराने के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। शासन से स्वीकृत मिलने के बाद किसानों को नुकसान के अनुरूप मुआवजा मुहैया कराया जाएगा।
करीब महीने-डेढ़ महीने भर के अंदर कालिंदी ने एक नहीं, तीन बार रौद्र रूप धारण किया। किलनहाई नदी के जरिए पानी गांव के भीतर भी पहुंचा। इससे मंझनपुर व चायल तहसील के 37 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। लगातार बने पानी के बहाव से किसानों की सैकड़ों बीघे फसल जलमग्न हो गईं। इसके बाद किसानों पर लगातार तीन बार कालिंदी का कहर टूटा।
बाढ़ ने किसानों की कमाई को पानी-पानी कर दिया। बाढ़ से बाजरा, तिलहन के साथ ज्वार व सब्जी की फसल बर्बाद हो गई। अन्नदाताओं के आंसू पोछने के लिए सरकार ने बाढ़ से बर्बाद फसलों का बिंदुवार ब्योरा जिला प्रशासन से तलब किया।
शासन का आदेश आने के बाद कृषि विभाग ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा करते हुए नुकसान का आकलन किया। इस दौरान 37 गांव के किसान बाढ़ के सैलाब से प्रभावित मिले। किसानों का 70 से 100 फीसदी फसल का नुकसान हुआ है। सर्वे करने के बाद विभाग ने सर्वे रिपोर्ट शासन को भेज दी है। अब विभाग व किसानों को शासन के हरी झंडी मिलने का इंतजार है। शासन से मुआवजे की स्वीकृत मिली तो अन्नदाताओं के हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी।
प्रभारी जिला कृषि अधिकारी सुरुचि विश्वकर्मा का कहना है कि यमुना के तटवर्ती क्षेत्र के 37 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। बाढ़ में सैकड़ों किसानों की फसल बर्बाद हुई है। 70 से 100 प्रतिशत तक का नुकसान किसानों का हुआ है। सर्वे रिपोर्ट शासन को भेज दी है। शासन का जो भी आदेश आएगा, वैसी कार्रवाई की जाएगी।
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