पटियाली की चारों दिशाओं में स्थापित हैं धरती के गर्भ से निकले शिवलिग
पटियाली संवाद सूत्र कस्बे की धार्मिक मान्यता पौराणिक हैं। ...और पढ़ें

पटियाली, संवाद सूत्र : कस्बे की धार्मिक मान्यता पौराणिक हैं। कहा जाता है कि यहां चारों दिशाओं में धरती के गर्भगृह से निकले शिवलिग स्थापित है। वैसे तो यहां प्रतिदिन श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन महाशिवरात्रि पर्व पर शिवभक्तों का तांता लगता है। पूजन अर्चन के लिए यहां विशेष तैयारी की गई है। बेलपत्र आदि पूजा सामग्री भी शिवालयों के पास मिलेगी।
महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर शिवालयों पर भोलेनाथ की शरण में मनौती मांगने का सिलसिला आदिकाल से चला आ रहा है। उत्तर भारत के कस्बों में पटियाली में चारों दिशाओं में शिवलिग धरती के गर्भ से स्वयं प्रकट हुए हैं। शिवभक्त महाशिवरात्रि पर्व पर क्षेत्र भर से बेलपत्र, धतूरा, देसी घी, शहद, दूध, दही, गंगाजल, बेर, फल, मिष्ठान आदि चढ़ा कर मनौती मांगेंगे। इसके अलावा प्रत्येक सोमवार को भी यहां भीड़ उमड़ती है। कस्बा के चारों दिशाओं स्थित शिवालयों पर बड़ी संख्या में भक्तजनों के आने से वातावरण भक्तिमय बना रहेगा। सभी शिवालय महाभारत काल से पूर्व के बताए जाते हैं। - पूर्व दिशा का शिवालय : यहां पाताली महादेव मंदिर पर जलाभिषेक के लिए भक्तों को 12 सीढि़यां उतरकर गर्भ गृह में जाना होता है।
- पश्चिम दिशा का शिवालय : यहां धरती के गर्भ से प्रकट गड्ढा वाले भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पांच फुट गहरे में उतरना होता है।
- उत्तर दिशा का शिवालय : 12 फुट ऊंचे टीले पर धरती के गर्भ से प्रकट मेहंदी वाले भोलेनाथ नाथ से मनौती मांगने के लिए श्रद्धालुओं को सीढि़यां चढ़कर जाना होता है।
- दक्षिण दिशा का शिवालय : यहां किला खाई पर धरती के गर्भ गृह से प्रकट भोलेनाथ के दर्शन के लिए पांच सीढ़ी चढ़कर जाना होगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।