कासगंज के जरीजरदोजी को सरकारी मदद की आस, कारोबार से जुड़े जिले के साढ़े तीन हजार कारीगर
कासगंज में जरीजरदोजी के कारोबार से जुड़े साढ़े तीन हजार कारीगर सरकारी मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे इन कारीगरों को सरकार से वित्तीय सहायता मिलने का इंतजार है, जिससे वे अपने कारोबार को आगे बढ़ा सकें और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकें।

जागरण संवाददाता, कासगंज। नए सत्र में सरकार बजट पेश करेगी। इसके लिए जिले के जरीजरदोजी के कारेाबार से जुड़े कारीगर सरकार से उम्मीद लगा रहे हैं। सरकार की नजरें इस कारोबार पर होंगी। कारीगरों को लाभांवित किया जा सकता है। जिससे यह कारोबार उड़ान भरेगा। जिले में साढ़े तीन हजार करीगर मौजूद हैं। जिन्हें सरकार समय-समय पर सीमित बजट के अनुरूप बैंक ऋण उपलब्ध कराकर कारोबार को बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है। कारोबार को बढ़ाने के लिए और अधिक बजट की आवश्यकता है। कारीगर और कारोबारी केंद्र सरकार के बजट का इंतजार कर रहे हैं। वित्त मंत्री से कारोबार को बढ़ावा देने की मांग भी है।
जिले के मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र कासगंज, गंजडुंडवारा, सहावर, भरगैन और सिढ़पुरा सहित ग्रामीण आंचल में भी जरीजरदोजी कारोबार से साढ़े तीन हजार लोग जुड़े हैं। जो उद्योग विभाग में अपना पंजीकरण सुनिश्चित करा चुके हैं। इस कारोबार में कारीगरों के अलावा कुछ ठेकेदार भी हैं जो बड़ी कंपनियों से जुड़े हुए हैं। कारीगरों और कंपनियों के बीच की कड़ी बने हैं। कंपनी से कच्चा माल लाकर कारीगरों को दिया जाता है। कारीगर पीस के हिसाब से कढ़ाई की कारीगरी लेते हैं। जिस तरह के नमूने कारीगरों को दिखाएं जाते हैं।
कारीगरों को ऐसे मिलता है मुनाफा
कारीगर उसी डिजाइन के आधार पर कपड़ों, साड़ियों, लहंगों पर सितारों, मोतियाें को जडकर आकर्षण रूप प्रदान करते हैं। इसके बदले कारीगरों को मुनाफा मिलता है। जिले के उद्योग विभाग ने इस कारोबार को ओडीओपी से जोड़ा है। पिछले कई वर्षाे से यह कारोबार एक जिला एक उत्पाद के रूप में जाना जा रहा है। साढ़े तीन हजार कारीगर जिला उद्योग केंद्र में पंजीकृत हैं।
इन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है और सरकार द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं का लाभ भी मिलता है। ओडीओपी में जुड़े होने के बाद भी सरकार कारीगरों के मन माफिक आर्थिक रूप से मदद नहीं कर पा रही है। कारीगरों सलीम का कहना है कि सरकार कारोबार के लिए ऋण तो उपलब्ध करा रही है, लेकिन कारोबार के हिसाब से ऋण काफी कम है। सरकार को अच्छा बजट देना चाहिए। जिससे कारोबार बढ़े।
जिले में साढ़े तीन हजार कारीगर पंजीकृत हैं। उद्योग विभाग इनके प्रोत्साहन के लिए लगातार काम कर रहा है। पिछले वित्त वर्ष में 12 लोग और चालू वित्त वर्ष में नौ लोगों को ऋण दिलाया गया है। इस साल 20 लाख का ऋण दिया गया है। - चंद्रभान भास्कर, उपायुक्त उद्योग

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