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    Bulandshahr Accident: 500 रुपये में बुक हुई थी ट्रॉली, एक दिन पहले तैयार हुई; 11 की मौत पर मचा चीत्कार

    कासगंज में एक ट्रैक्टर ट्राली हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई। दो मंजिला ट्राली को गांव वालों ने ही तैयार किया था जो धार्मिक यात्रा पर जा रही थी। बुलंदशहर जिले के अरनिया क्षेत्र में हाईवे पर एक कंटेनर ने ट्राली को टक्कर मार दी जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इस दुखद घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं खासकर पुलिस की भूमिका पर।

    By Jagran News Edited By: Sakshi Gupta Updated: Mon, 25 Aug 2025 09:56 PM (IST)
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    बुलंदशहर सड़क हादसे में अब तक 11 लोगों की मौत, कई का चल रहा इलाज।

    अनिल गुप्ता, कासगंज। ये सिर्फ एक ट्रैक्टर ट्राली नहीं थी, ये एक चलती-फिरती मौत की सवारी थी, जिसे हादसे से ठीक एक दिन पहले गांव वालों ने खुद तैयार किया। दो मंजिला ट्राली का निर्माण किया गया। लोहे की बल्ली लगाकर लकड़ी के तख्तों से छत बनाई गई।

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    उस पर बांस और प्लास्टिक की पालिथिन डाली, ताकि बारिश से बचाव हो सके। किसी को अंदेशा नहीं था कि यह यात्रा जीवन की अंतिम यात्रा बन जाएगी।

    हादसा बुलंदशहर जिले के थाना अरनिया क्षेत्र में हाईवे पर हुआ, जब एक तेज रफ्तार कंटेनर ने पीछे से ट्रैक्टर ट्राली को टक्कर मार दी। ट्राली में कासगंज जिले के थाना सोरों क्षेत्र के गांव रफ़ायतपुर, नगला बसंत, मिलकनिया और भैंसोरा के लोग सवार थे।

    इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों गंभीर रूप से घायल हैं। मरने वालों में महिलाएं, बच्चे और दोनों चालक शामिल हैं। यह पूरी यात्रा एक धार्मिक उद्देश्य से की जा रही थी। गांव वालों ने ट्रैक्टर ट्राली को जाहरवीर बाबा की जात के लिए बुक किया था। प्रति व्यक्ति 500 रुपये का भाड़ा तय हुआ, जिससे डीजल और अन्य खर्च निकाला जा सके।

    ट्राली में कुल 67 लोग सवार थे, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे थे। रविवार शाम 6:30 बजे यह ट्राली कासगंज के रफायतपुर गांव से निकली, रास्ते में मिलकनिया, नगला बसंत और भैंसोरा गांव के लोग भी इसमें शामिल हो गए।

    ट्रैक्टर ट्राली को एक सप्ताह पहले से तैयार करने का प्लान चल रहा था। शनिवार को इसे दो मंजिला रूप दिया गया। इस काम में गांव वाले खुद जुटे रहे। पहले एक चालक ईयू बाबू को तैयार किया गया था, लेकिन लंबा सफर देखते हुए दूसरे चालक की जरूरत पड़ी।

    पड़ोसी गांव मिलकनिया के धनीराम को बुलाया गया। वे कुछ दिन पहले ही जाहरवीर बाबा की जात से लौटे थे, लेकिन फिर से बुलावे पर तैयार हो गए। हादसे में दोनों चालकों की भी मौत हो गई। इस पूरे हादसे पर सबसे बड़ा सवाल पुलिस की भूमिका पर उठ रहा है।

    कासगंज से बुलंदशहर तक हाईवे पर कई थाने और चौकियां हैं, पुलिस गश्त करती है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोग और दो मंजिला ओवरलोड ट्राली कैसे निकल गई? किसी भी पुलिस चौकी ने उसे रोकने या जांचने की जहमत नहीं उठाई।

    यदि समय रहते ट्राली को रोका जाता, तो शायद यह हादसा टल सकता था। गांव में अब मातम पसरा है। लोग भगवान को दोष दे रहे हैं, लेकिन साथ ही खुद को भी कोस रहे हैं कि क्यों अनजाने में मौत की सवारी तैयार कर दी। यह सिर्फ हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की चूक की भारी कीमत है।

    दर्जनभर थाने और चौकियों से होकर गुजर गई ट्रैक्टर ट्राली

    67 श्रद्धालुओं से भरी ट्रैक्टर ट्राली कम से कम दर्जनभर पुलिस थानों और चौकियों से होकर गुजरी। फिर भी पुलिस ने नहीं टोका। ऐसा नहीं है कि इतने लंबे रूट पर पुलिस कर्मियों ने ओवरलोड ट्रैक्टर ट्राली को नहीं देखा होगा। गांव रफायतपुर कासगंज-सोरों मार्ग पर स्थित पुलिस लाइन के पास है।

    कासगंज से निकलकर पहले बिलराम पुलिस चौकी फिर ढाेलना थाना रास्ते में पड़ता है, जहां से ट्रैक्टर ट्राली निकल गई। इसके बाद गंगीरी और छर्रा थाना क्षेत्र से होते हुए पनैठी होकर अलीगढ़ जनपद में प्रवेश करते हैं, जहां से गभाना, खुर्जा, अरनिया, बुलंदशहर आदि क्षेत्रों के थाने रास्ते में हैं, मगर कहीं भी नहीं रोका गया।

    टक्कर की आवाज से दहल गए सब

    जिस समय हादसा हुआ उस समय कंटेनर की टक्कर से जोरदार आवाज हुई। हादसे में घायल हुए खेमकरन ने बताया कि जिस समय कंटेनर ने टक्कर मारी उस समय एक साथ तेज धमाके की आवाज सुनाई दी। पहले तो हम लोग समझ ही नहीं पाए कि आखिर हुआ क्या है।

    हादसे के दौरान चीख-पुकार मचने लगी, मैं ट्राली में ही फंसा रह गया। निकलकर देखा तो कई लोग सड़क पर पड़े थे। रास्ते से गुजर रहे वाहनों में सवार लोग उतरकर मदद के लिए आ गए थे। खेमकरन ने फोन पर अपने स्वजन से भी बात की और कहा कि मेरा उपचार चल रहा है। शीघ्र ही घर आऊंगा।