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    गूंज रही बच्चों की किलकारी, चहक रहे पक्षी... कासगंज में गंगा किनारे वाले 20 से अधिक गांवों में पटरी पर जिंदगी

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 12:14 PM (IST)

    कासगंज में गंगा की बाढ़ से 20 से अधिक गांव प्रभावित हुए। खेतों और आबादी में पानी भरने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। बिजली शिक्षा और आवागमन बाधित रहा। एक माह तक लोग बेबस रहे। अब जलस्तर घटने से स्थिति सुधर रही है। प्रशासन और समाजसेवियों ने राहत कार्य किए। गांव में फिर से रौनक लौट रही है बच्चे खेल रहे हैं और जिंदगी पटरी पर आ रही है।

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    कासगंज में बाढ़ का पानी कम होने से लोगों ने राहत की सांस ली है।

    जागरण संवाददाता, कासगंज। पटियाली क्षेत्र के गंगा के किनारे वाले 20 से अधिक गांव को गंगा की बाढ़ ने अपना शिकार बनाया। खेतों सहित आबादी तक बाढ़ का पानी पहुंचा। बिजली गुल हो गई। विद्यालय बंद हो गए। यहां तक कि ग्रामीणों का आवागमन गमन रुक गया। लोग पूरी तरह बेबस हो गए और दयनीय स्थिति में एक माह तक अपनी गुजर करते रहे।

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    शासन, प्रशासन, समाजसेवियों की राहत का पात्र बनने के बाद अब स्थिति में सुधार हुआ है। पक्षियों की चहचहाहट और बच्चों खिलखिलाहट गूंजने लगी है। गंगा बाढ़ का पानी तेजी से उतर रहा है। एक माह तक बेजार हुई जिंगदी फिर से पटरी पर लौट रही है।

    एक माह से बाढ़ का दंश झेल रहे गांवों में अब राहत

    पांच अगस्त को उत्तरकाशी में बादल फटने के साथ ही गंगा में हरिद्वार के भीम गोडा बैराज से पानी छोड़े जाने का सिलसिला शुरू हो गया था। कछला पर छह अगस्त को गंगा खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई। हरिद्वार, बिजनौर, नरौरा सभी बैराजों से लगातार पानी छोड़ा गया। जिससे गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया। उफान भरने लगी। जितनी अधिक मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा था उतना ही गंगा में उफान बढ़ रहा था।

    खेतों की खड़ी फसल बर्बाद,  सड़कें पानी में डूबी थीं

    देखते ही देखते सोरों, सहावर, पटियाली क्षेत्रों में गंगा धार से हटकर गांव की ओर बढ़ी। खेताें में खड़ी फसल को निशाना बनाया। प्रवाह बढ़ते ही गंगा आबादी में प्रवेश कर गई। सड़कें डूब गई। आबादी प्रभावित होने लगी। सिंचाई विभाग भी बाढ़ के पानी को देखकर बेवस हो गया। विभाग ने जो भी प्रबंध किए गंगा ने सभी धराशायी कर दिए। प्रशासन द्वारा अलर्ट भी घोषित किया गया।

    पटियाली के 20 अधिक गांव में भरा पानी, बेबस हो गई थी जिंदगी

    पटियाली क्षेत्र में निचले स्तर पर बसे 20 से अधिक गांव प्रभावित हुए। सोरों क्षेत्र के गांव चेलारी, पटियाली क्षेत्र के गांव मूजखेड़ा पर सड़क कट गई। पटियाली क्षेत्र के गांव नगला जयकिशन में दो वर्षाे से पुलिया टूटी हुई थी। जिससे आवागमन प्रभावित हुआ। गांवाें का संपर्क टूट गया। बिजली, शिक्षा, आवागमन, मोबाइल नेटवर्क बंद हो गया। ग्रामीणों की जिंदगी पूरी तरह बेबस हो गई। रोजमर्रा की चीजों के लिए परेशान हो गए। नाव से आवागमन शुरू हुआ। शासन प्रशासन सहित राजनैतिक जनप्रतिनिधि और सामाजिक संस्थाओं के लाेगों ने राहत पहुंचाने का काम किया, लेकिन बिकराल स्थिति में सहायता काफी कम रही।

    एक सप्ताह से लगातार गंगा का जलस्तर गिर रहा है

    पिछले एक सप्ताह से लगातार गंगा का जलस्तर गिर रहा है। जिससे गंगा का प्रवाह भी कम हुआ है। गांव में भरा गंगा का पानी उतरने लगा है। गांवों में करीब 40 दिन तक जगह-जगह भरा पानी तेजी से गिर रहा है। सड़कों पर चहल-पहल शुरू हाे गई है। चिड़िया भी चहचहाने लगी हैं। बेबस हो चुकी ग्रामीणों की जिंदगी एक बार फिर से आबाद होने लगी है। गलियारों से बच्चों की खिलखिलाहट के स्वर भी गूंज रहे हैं।

    इन गांव में भरा था गंगा का पानी

    मूजखेड़ा, राजेपुर कुर्रा, नगला जय किशन, नगला दुर्जन, नगला पदम, नगला नरपत, नगला हंसी, नगल जैली, नगला शीशम अत्यधित प्रभावित रहे। किलोनी, सुन्नगढ़ी, गनेशपुर भाटान, बमनपुरा, नगला ढाव में भी पानी भरा रहा। सोरों क्षेत्र के गांव नगरियां, मनिकापुर, लहरा, पाठकपुर, कादरबाडी तक पानी पहुंचा था।

    गांव में एक माह से अधिक समय से बाढ़ का पानी भरा हुआ था। गंगा का जलस्तर गिरने के बाद स्थिति सामान्य होती जा रही है। पानी कम हो रहा है। परेशान हो चुके लोग राहत महसूस कर रहे हैं। - धीरसिंह, नगला जयकिशन

    बाढ़ का पानी भरने के बाद ग्रामीणों की जिंगदी बेबस से हो गई थी। गांव पानी के टापू बन गए थे। स्थिति में सुधार होने लगा है। गांव की गलियां आबाद हो रही हैं। जिंदगी पटरी पर लौट रही है। - सुमंत कुमार, नगला ढाव

    गंगा में छोड़ा गया पानी

    • हरिद्वार 92,098 क्यूसेक
    • बिजनौर 73,870 क्यूसेक
    • नरौरा 71,077 क्यूसेक
    • कछला पर गेज 161.98 मीटर

    गंगा खतरे के निशान से लगातार नीचे जा रही है। दोबारा बाढ़ का खतरा टल गया है। पटियाली क्षेत्र के गांव में भरा बाढ़ का पानी भी गांव से निकला रहा है। स्थिति सामान्य होती जा रही है। बाढ़ चौकियां अभी भी सक्रिय बनी हुई हैं। - पंकज कश्यप, एई सिंचाई विभाग