बुलंदशहर ट्रैक्टर हादसे का जख्म: परिवार का एकमात्र कमाने वाला था रामचरन, पति की मौत से बच्चों के भविष्य की चिंता
कासगंज के रफायतपुर गांव के रामचरन की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। रामचरन अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे। उनकी पत्नी सुनीता अब अपने तीन बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वे गांव के बाहर एक झोपड़ी में रह रही हैं और उन्हें अभी तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है।
संस, जागरण. कासगंज। श्रद्धालुओं के जत्थे में शामिल गांव रफायतपुर के निवासी 29 वर्षीय रामचरन अपने परिवार का अकेला ही खेवनहार था। पत्नी और तीन बच्चों का मेहनत मजदूरी कर पालन पोषण कर रहा था। उसकी मृत्यु के बाद पत्नी सुनीता बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। गांव के बाहर झोपड़ी डालकर रह रही हैं। अब तक काेई सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। तीन बच्चों के बीच साढ़े तीन बीघा कृषि योग्य भूमि है। उसे चिंता है कि बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा।
गांव रफायतपुर में छह श्रद्धालु बुलंदशहर की सड़क दुर्घटना का शिकार हुए। जिनमें 29 वर्षीय रामचरन पुत्र विद्याराम भी था। हालांकि घटना के दौरान वह घायल हुआ था। उपचार के दौरान उसने सोमवार की देर रात दम तोड़ दिया। मंगलवार को गांव में ही स्वजन ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
परिवार को अकेला खेवनहार था मृतक रामचरन
पति को खो देने का दुख पत्नी से सहा नहीं जा रहा। उसके मन में पति को खाेने के साथ तीन छोटे-छोटे बच्चे सात वर्षीय आराध्या, पांच वर्षीय कशिश और चार वर्षीय ललित के भविष्य को लेकर चिंता के भाव उभर रहे हैं। परिवारिक बंटवारे में रामचरन के हिस्से में साढ़े तीन बीघा जमीन आई थी। खेतीबाड़ी के साथ मेहनत मजदूरी कर वह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था।
गांव के बाहर झोपड़ी में रह रही, नहीं मिला सरकारी लाभ
बच्चे प्राइमरी विद्यालय में शिक्षाध्ययन कर रहे हैं। राशन कार्ड के अलावा कोई सरकारी मदद परिवार के नहीं मिल रही है। मनरेगा योजना के तहत जॉब कार्ड भी जारी नहीं हुआ है। आर्थिक स्थिति दयनीय है। पत्नी सुनीता गांव के बाहर झोपड़ी डालकर अपने बच्चों को आगोश में समेटे निवास कर रही है। उसका कहना है कि पति के जाने के बाद दो बेटियों और बेटे का भविष्य कैसे तय कर पाएंगी। हालांकि उसके परिवारीजन हर कदम पर मदद का भरोसा दे रहे हैं। लेकिन समय के कालचक्र में परिवर्तन का स्वभाव है। कब कौन बदल जाए कहा नहीं जा सकता।
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