कासगंज के बाढ़ ग्रस्त इलाके में नाव पलटी, 11 लोग डूबे; तैराकों ने बचाई जान, जागरण ने पहले ही जताया था हादसे का खतरा
कासगंज के पटियाली तहसील क्षेत्र में नगला जय किशन गांव के पास राशन लेने जा रहे लोगों से भरी नाव पलट गई। जिसमें सवार 11 लोग डूब गए थे स्थानीय तैराकों और ग्रामीणों ने सभी को सुरक्षित बचा लिया। घटना गंजडुंडवारा के पास हुई जहां डूबे हुए पुल को पार करते समय नाव असंतुलित हो गई। दैनिक जागरण ने पहले ही इस खतरे के बारे में खबर प्रकाशित की थी।
जागरण संवाददाता, कासगंज। पटियाली तहसील क्षेत्र के बाढ़ग्रस्त गांव नगला जय किशन से राशन लेने जा रहे लोगों से भरी नाव शुक्रवार सुबह पलट गई। नाव में सवार 11 लोग डूब गए, लेकिन स्थानीय तैराकों और ग्रामीणों की मदद से सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया।
कई लोग खुद तैरकर बाहर आ गए, जबकि बाकी को लोगों ने समय रहते बचा लिया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। गहरे पानी में डूबी नाव का अब तक पता नहीं चल पाया है।
घटना विकासखंड गंजडुंडवारा के गांव नगला जय किशन से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर एक डूबे हुए पुल के पास हुई। प्रशासन ने नगला जय किशन से चार किलोमीटर दूर गांव सनौडी स्थित प्रेमा देवी इंटर कॉलेज में बाढ़ चौकी बनाकर राहत सामग्री रखी थी।
शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे नाविक पेशकार अपने घर खाना खाने चला गया था और नाव गांव के बाहर छोड़ दी थी। इस बीच, कुछ ग्रामीण खुद नाव लेकर राशन लेने निकल पड़े।
रास्ते में 25 फुट ऊंचा टूटा पुल, जो गंगा में आई बाढ़ के पानी में डूबा था, पार करते वक्त नाव असंतुलित हो गई और पानी की पाइपलाइन से टकराकर पलट गई। नाव में सवार लोगों में चीख-पुकार मच गई। जो लोग तैरना जानते थे, खुद किनारे पहुंच गए, जबकि बाकी को ग्रामीणों ने बचा लिया।
नाव पर सवार लोग
कल्याण पुत्र पुत्तूलाल, उमेश पुत्र तेजराम, विपिन कुमार पुत्र राजेश्वर, जयकुमार पुत्र महावीर, रामशरण पुत्र अलवर (सभी निवासी नगला जय किशन), दीपक टेलर निवासी सनौडी, भूरे सिंह, शिवम कुमार, मुन्नालाल (निवासी नगला दुर्जन) आदि।
दैनिक जागरण ने चेताया था
मंगलवार को ‘दैनिक जागरण’ की टीम नगला जय किशन, नगला दुर्जन और नगला दीपी गांव में बाढ़ हालात का जायजा लेने गई थी। टीम इसी नाव से सफर कर रही थी, लेकिन पुल के पास से गुजरने में खतरा होने के कारण स्टीमर मंगाया गया और नाव बीच पानी में ही छोड़ दी गई।
13 अगस्त के अंक में “बाढ़ चौकी दूर, कैसे जाएं राशन लेने” शीर्षक से खबर प्रकाशित कर ग्रामीणों की परेशानी और संभावित खतरे की ओर ध्यान दिलाया गया था। ग्रामीणों की मांग थी कि प्रशासन गांव में आकर ही राहत सामग्री बांटे, जिससे हादसा टल सकता था।
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