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    कौन है अरुण मौर्य जिसने अतीक पर बरसाईं ताबड़तोड़ गोलियां, 10 वर्ष पहले छोड़ा कासगंज, पिता की पानीपूरी की ढकेल

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Mon, 17 Apr 2023 08:15 AM (IST)

    Atiq Ahmed Murder Case सुबह बघेला पुख्ता तो दोपहर में कादरबाड़ी में डाला डेरा। एक ही नाम को दो युवक दोनों का ही गांव से वास्ता कम। बघेला पुख्ता में महिला ने फोटो देखकर पहले अपने भतीजे के रूप में अरुण की पहचान की और बाद में मुकरी।

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    Atiq Ahmed Murder Case: अरुण मौर्य प्रयागराज में अतीक और अशरफ की हत्या का आरोपित है।

    कासगंज, जागरण टीम। अरुण कौन और कहां का रहने वाला है, पुलिस इस पहेली को सुलझाने में उलझी रही। सुबह उसके सोरों क्षेत्र के गांव बघेला पुख्ता का होने की जानकारी मिली। वहां एक महिला ने अपने भतीजे के रूप में अरुण की पहचान भी कर दी। बाद में फोटो देखकर पहचानने से मना कर दिया। पुलिस को फिर सोरों क्षेत्र के ही कादरबाड़ी गांव में अरुण मौर्य का पता चला। ग्रामीणों से बातचीत के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि प्रयागराज में पकड़ा गया अरुण कादरवाड़ी का है।

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    कासगंज के होने की मिली थी जानकारी

    पुलिस अधिकारियों को शनिवार रात सूचना मिली कि अतीक अहमद की हत्या में पकड़े गए तीन शूटरों में एक कासगंज का है। इसके बाद जिले के सभी थानों में रात में ही अपराधियों का रिकार्ड खंगाला गया। उनमें अरुण मौर्य का नाम नहीं मिला। पुलिस ने अपने निजी सूत्र दौड़ाए। सुबह छह बजे बघेला पुख्ता गांव में अरुण मौर्य नाम के युवक के बारे में पता चला। वह घर से करीब 10 वर्ष से गायब है।

    सोरों कोतवाली प्रभारी निरीक्षक डीके त्यागी फोर्स के साथबघेला पुख्ता पहुंचें तो वहां ग्रामीण गोपी के घर में मौजूद उसकी पत्नी लक्ष्मी ने मोबाइल पर अरुण मौर्य का फोटो देखकर उसकी पहचान अपने भतीजे के रूप में कर दी। बताया कि, वह उसके जेठ हीरालाल और जेठानी का पुत्र है। दोनों की मौत करीब 15 वर्ष पहले हो चुकी है। तब अरुण चार-पांच साल का था। उसका बड़ा भाई रवेंद्र गांव में ही मजदूरी करता है। उससे छोटा आकाश दिल्ली में कबाड़े का काम करता है।

    दौलत कमाने की लालसा में पानीपत में सनी के संपर्क में आया अरुण

    माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद सुर्खियों में आया अरुण सोरों क्षेत्र के गांव कादरवाड़ी का मूल निवासी है। नजदीकी बताते हैं कि हमीरपुर निवासी सनी का पानीपत में कुछ दबंग और अपराधी युवकों से संपर्क था। वहीं, अरुण उसके संपर्क में आया। दौलत कमाने की लालसा उसे सनी के नजदीक ले गई। बताते हैं, सनी शार्प शूटर है और पश्चिमी यूपी के कुख्यात सुंदर भाटी का खास है। उसी ने अरुण को सब्जबाग दिखाकर अपराध जगत में आने के लिए प्रेरित किया।

    जिले में कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं

    अरुण का जिले में कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। पुलिस और एलआइयू की टीम गांव पहुंची तो अरुण का गांव में मकान खाली पड़ा था। दरवाजे भिड़े थे, मगर ताला नहीं लगा था। रसोई गैस के जमाने में भी उसके घर के बरामदे में ईंटों से बने चूल्हे में राख सुलग रही थी। पड़ोसियों ने बताया, अरुण का पिता दीपक कुछ देर पहले तक यहीं गोलगप्पे तैयार कर रहे थे। सोरों कोतवाली प्रभारी निरीक्षक डीके त्यागी के साथ पुलिस बल ने गांव में डेरा डाल दिया है। गांव में सन्नाटा है। दीपक के आवास के पास पुलिस तैनात कर दी गई है।

    दस वर्ष पूर्व छोड़ चुका था गांव

    अरुण करीब दस साल पहले गांव छोड़ गया था। पुलिस को भरोसा हो गया कि यही वह अरुण है जो प्रयागराज में पकड़ा गया है। मीडियाकर्मी भी यहां सक्रिय हो गए। इस दौरान सवाल खड़ा हुआ कि प्रयागराज में पकड़े गए अरुण के पिता का नाम दीपक है, जबकि बघेला पुख्ता के अरुण के पिता हीरालाल है। पुलिस ने लक्ष्मी से फिर से पूछताछ की तो उसने फोटो देखकर पहचानने से इन्कार कर दिया। दोपहर बारह बजे तक बघेला पुख्ता गांव में उलझी रही। इसी दौरान सूचना मिली कि करीब दो किमी दूर गांव कादरवाड़ी में भी एक अरुण मौर्य है। उसके पिता का नाम दीपक है। पुलिस कादरवाड़ी पहुंची तो अरुण के परिवार से कोई नहीं मिला। ग्रामीणों से बातचीत के बाद पुलिस को यकीन हो गया कि प्रयागराज में पकड़ा गया अरुण यहीं का है।

    घटनाक्रम की जानकारी देने से बचते रहे अधिकारी

    कादरवाड़ी में मौजूद सोरों कोतवाली प्रभारी निरीक्षक डीके त्यागी ने इस बारे में कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। सीओ सिटी अजीत चौहान ने भी कोई अधिकृत जानकारी देने से मना कर दिया। एसपी गौरव दीक्षित ने जरूर यह कहा कि इस पूरे मामले में मानीटरिंग प्रदेश मुख्यालय से हो रही है।