अपने ही घर में बेगाने हुए अमीर खुसरो, नहीं हुआ कोई कार्यक्रम
पटियाली संवाद सूत्र कस्बा पटियाली में जन्मे खड़ी बोली के प्रथम कवि कव्वाली के जनक सूफी संत अमीर खुसरो की जयंती अपने ही भूल गए।

पटियाली, संवाद सूत्र: कस्बा पटियाली में जन्मे खड़ी बोली के प्रथम कवि कव्वाली के जनक सूफी संत अमीर खुसरो की जयंती अपने ही भूल गए। घर में ही खुसरो बेगाने हो गए। न तो सरकारी न ही सामाजिक संस्थाओं ने खुसरो की जयंती पर कार्यक्रम किए।
हिदी बोली के प्रथम कवि ह•ारत अबुल हसन अमीनुद्दीन अमीर खुसरो का जन्म 12वीं सदी में पटियाली कस्बा में हुआ था। 27 दिसंबर को उनकी जयंती मनाई जाती है, लेकिन इस बार खुसरो अपने ही घर में बेगाने हो गए। खुसरो को कस्बा के लोगों ने ही याद नहीं किया। सामाजिक साहित्यिक संस्थाओं के साथ-साथ प्रशासन स्तर से भी किसी भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया। प्रतिवर्ष अप्रैल में खुसरो महोत्सव का आयोजन होता था, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते यह आयोजन भी नहीं हुआ। अपने घर में ही खुसरो को विसराना साहित्य प्रेमियों को खला है। क्या कहते हैं कवि
कभी विरह के गीत लिखे, कभी छंद लिखे खुशहाली के। देहली में जो दफन हुए वह खुसरो थे पटियाली के।
- शरदकांत मिश्र, कवि पटियाली फैली है जिसके नाम की दुनिया में रोशनी। गुमनाम सा लगे है अपने दयार में।
- फूल मियां, शायर पटियालवी
मिर्जागालिब का मनाया जन्मदिन
संस, गंजडुडवारा : कस्बा के मुहल्ला आबाजी स्थित मदरसा निदा-ए-इस्लामियां में मिर्जा गालिब का जन्मदिन मनाया गया। प्रबंधक तारिक महमूद ने कहा कि मिर्जागालिब उर्दू और फारसी भाषा के महान शायर और गायक थे। फारसी शब्दों का हिदी भाषा से जुड़ाव का श्रेय मिर्जा गालिब को जाता है। गालिब द्वारा लिखी गई शायरियां फारसी और हिदी भाषा में है। अनिल सिंह राठौर, प्रतीक अग्रवाल, कृतज्ञ यसोलिया, राशिद महमूद, हयातुर्रहमान, मोहम्मद साोएब, कल्लू, मोहम्मद तौसिफ, मुबीन मंसूी, राजू मौजूद रहे।
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