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    कानपुर देहात में 4% भी नहीं लग पाए स्मार्ट मीटर, 6 साल में 2.5 लाख का टारगेट 9500 मीटरों में सिमटा

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 10:51 PM (IST)

    कानपुर देहात में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना धीमी गति से चल रही है। छह साल में 2.5 लाख मीटर लगाने का लक्ष्य था, लेकिन तीन साल में केवल 4% ही लग पाए हैं। बिलिंग में पारदर्शिता लाने को बिजली विभाग की ओर से स्मार्ट मीटर की व्यवस्था की गई थी। 

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    जागरण संवाददाता, कानपुर देहात। मीटर रीडिंग में खेल कर उपभोक्ताओं को चूना लगा रहे कर्मियों से निपटने के लिए बिजली विभाग की ओर से स्मार्ट मीटर लगाने की पहल शुरू की गई थी। करीब तीन वर्ष पूर्व शुरू पहल लक्ष्य से पूर्व ही दम तोड़ रही है। स्थिति यह है कि तीन वर्ष में चार प्रतिशत भी स्मार्ट मीटर जिले में नहीं लगाए जा सके हैं। जबकि छह वर्ष में 2.5 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य तय किया गया था।

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    बिलिंग में पारदर्शिता लाने को बिजली विभाग की ओर से स्मार्ट मीटर की व्यवस्था की गई थी। इससे माह में एक से पांच तारीख के मध्य स्वत: ही बिजली बिल उपभोक्ताओं के पास मोबाइल पर पहुंच जाता और मीटर रीडिंग से भी निजात मिलती। इससे मीटर रीडर की भूमिका भी नगण्य हो जाती है। उपभोक्ताओं के पास प्रति माह बिल पहुंचने से उन्हें आनलाइन जमा करने की सुविधा भी उपलब्ध थी, जिससे उन्हें कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ते। जिले में स्मार्ट मीटर लगाने के लिए कार्यदायी संस्था को छह वर्ष की समय सीमा तय की गई थी, जिसमें करीब 2.5 लाख मीटर लगाए जाने थे।

    पहले ही दम तोड़ गई योजना

    लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण यह व्यवस्था परवान चढ़ने से पूर्व ही दम तोड़ गई। स्थिति यह है कि तीन साल में मात्र जिले में मात्र 9500 स्मार्ट मीटर ही लगाए जा सके, जो तय लक्ष्य का चार प्रतिशत भी नहीं है। जिले में करीब 2.93 लाख बिजली उपभोक्ता हैं, जिसमें 2.50 लाख घरेलू कनेक्शन धारक हैं। स्मार्ट मीटर न लग पाने से ऐसे उपभोक्ताओं को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। वहीं मीटर रीडर रीडिंग में छेड़छाड़ कर उपभोक्ताओं को चपत लगाने से नहीं चूक रहे हैं। बिलो में हेरफेर होने से उपभोक्ताओं को कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ता है।

    रूरा के चिलौली गांव निवासी अर्चना कमल ने बताया कि विभाग की ओर से उन्हें ज्यादा बिल भेज दिया गया था। इसके लिए काफी कार्यालय के कई चक्कर काटने पड़े। अधिकारियों के निर्देश पर समस्या का निस्तारण हो सका। लेकिन यह समस्या केवल अर्चना कमल ही नहीं बल्कि कई उपभोक्ताओं को अक्सर ही इस समस्या से दो चार होना पड़ता है।

    जिले में करीब 2.50 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जाने थे, लेकिन अभी तक 9500 के आसपास ही मीटर लगाए जा सके हैं। कार्यदायी संस्था को इस संबंध में नोटिस भी जारी किया गया था। - सुमित व्यास, अधीक्षण अभियंता