शिव का पंचाक्षर मंत्र जपने से मोक्ष संभव
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : परमात्मा के स्वरूपों में भगवान शिव ही महा कल्याणकारी हैं
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : परमात्मा के स्वरूपों में भगवान शिव ही महा कल्याणकारी हैं। जगत कल्याण व भक्तों के दुख हरने के लिए वह विभिन्न नामों और रूपों में प्रकट होते हैं, जिससे मनुष्य ही नहीं देवताओं के लिए भी मुक्ति का मार्ग बनता है। शिव का पंचाक्षर मंत्र ऊं नम: शिवाय का जप करने से मोक्ष की प्राप्ति संभव है। यह प्रवचन हनुमान गढ़ी कड़री आश्रम में संत ने दिए।
आश्रम में भगवान भगवतेश्वर महादेव व रुद्रावतार हनुमानजी के विभिन्न रूपों के पूजन के बाद सात दिवसीय शिव सहस्त्रनाम जप शुरू हो गया। प्रमुख संत ने भक्तों को शिव महिमा का बोध कराया। उन्होंने कहा कि शिव कल्याण के प्रतीक होने के साथ अनेक रूपों का समन्वय हैं। सत्य व शिव के समावेश का मंथन मानव को जीवन जीने की कला सिखाने के साथ आत्मशक्ति का बोध भी कराता है। उनके अंश व रुद्रावतार हनुमानजी भक्तों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। उन्होने कहा कि एकक्षर मंत्र ऊं भगवान शिव का स्वरूप है। वहीं षड़ाक्षर मंत्र ऊं नम: शिवाय ही शिव तत्व है। मनोरथ सिद्धि के लिए इस मंत्र का प्रतिपादन किया गया है, यह मंत्र सभी विद्याओं का बीज मंत्र है। इसमें छह अंगों सहित संपूर्ण वेद व शास्त्र विद्यमान है। इस मंत्र के साथ भगवान शिव का अभिषेक करने से सद्विचार, सत्कर्म की प्रवृत्ति, आत्मशक्ति का प्रादुर्भाव होता है। महामृत्युंजय मंत्र के जप से प्रसन्न होकर भगवान महाकाल भक्त के संकट व अकाल मृत्यु का भय भी हरण करते है। भगवान शिव को यर्जुवेद, ऋग्वेद व सामवेद के साथ सत्व, रज, तम तीन तत्वों के संयुक्त रूप बताया गया है। आश्रम में रमेश स्वरूप ब्रह्माचारी की देखरेख में आरती पूजन के बाद भंडारे में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।