काश... बिजली होती तो नहीं घटती कानपुर में एक और दर्दनाक घटना; तीन मासूम समेत पूरा परिवार जलकर हो गया राख
झोपड़ी में गए बिजली के केबल में कट मिला था। इसी कट से बल्ब जलाने के साथ ही मोबाइल चार्ज किया जा रहा था। यहीं शार्ट सर्किट होने से आग लगने की आशंका जताई जा रही है। परिवार रजाई लेकर जमीन पर ही लेटा था।

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : रूरा के मड़ौली गांव में 13 फरवरी को झोपड़ी में आग से मां-बेटी के जिंदा जलने का मामला अभी गर्म था कि क्षेत्र में एक और दर्दनाक घटना हो गई। हारामऊ गांव के बंजाराडेरा में शनिवार रात 2:30 बजे झोपड़ी में आग लगने से दंपती व उनके तीन मासूम बच्चे जिंदा जल गए। छप्पर गिरने से सब अंदर ही फंसे रहे।
चीखें सुन झोपड़ी के पीछे हिस्से में सो रही दुधमुंही बच्ची व उसकी मां को बचाने को आई महिला झुलस गई। राहत कार्य शुरू होता तब तक सब खत्म हो गया। फोरेंसिक टीम ने शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका जताई है। कनेक्शन नहीं लिया गया था और जमीन के अंदर से केबल ले जाकर बिजली जलाई जा रही थी। केबल दो जगह कटी मिली है।
लपटों और धुएं में घुट गईं चीखें, चाह कर भी कोई कुछ न कर पाया
‘पापा हमें बचा लो, अम्मा हमें बचा लो’। चीखों के साथ यह आखिरी गुहार थी सतीश नायक व उनकी पत्नी काजल की। मासूम सनी और अन्य दो बच्चे भी खुद को बचाने के लिए चीख रहे थे। आग की लपटों के बीच घिरे परिवार के चीख स्वजन व ग्रामीणों के दिलोदिमाग में करुण वेदना बनकर उतर रही थी, लेकिन सभी बेबस बने रहे।
हादसे के वक्त अंधेरा था। इधर-उधर आग बुझाने का इंतजाम करने के बीच अंदर से आ रहीं चीखें शांत हो गईं। सामने बूढ़ी आंखों ने अपनी ‘बगिया’ को उजड़ते देखा और अंतिम समय में कुछ कर न सके। रूरा के हारामऊ गांव के बंजाराडेरा में मलखान के पुत्र की शनिवार देर शाम बरात गई थी।
हर तरफ खुशी का माहौल था तो मंगल गीत गाए जा रहे थे। डीजे की धुन पर डांस भी हो रहा था। सतीश नायक व उसके बच्चे भी दरवाजे तक गए थे और विवाह की खुशियों में शामिल हुए थे। मगर, उन्हें क्या पता था कि काल उनका इंतजार कर रहा था।
देर रात जब आग लगी तो सबसे पहले बच्चे सनी की ‘बचाओ-बचाओ’ आवाज आई। इस पर स्वजन की नींद टूटी थी कि इतने में सतीश के भी चीखने व मदद की गुहार लगाने की आवाज आने लगी। पिता प्रकाश, मां रेशम बचाने का प्रयास करते पर आग इतनी भयावह थी कि जलती झोपड़ी के अंदर घुसने की हिम्मत न कर सके।
आसपास के लोग भी जुटे और अंधेरे में इधर-उधर पानी खोजने में लगे रहे। बहन नीतू अपने दुधमुंहे बच्चे को लेकर दहाड़ मार रोती रही और मदद की पुकार करती रही। छोटी बहन श्यामा भी बेसुध हो जा रही थी। इधर दमकल व पुलिस कर्मी भी पहुंचे, पर तब तक चीखें शांत हो चुकी थीं। पूरा परिवार करीब आधे घंटे तक बेबस रहा और सारी खुशियां एक झटके में मातम में बदल गईं।
बिजली न होने से सबमर्सिबल पंप व मोटर नहीं चल सके
पड़ोसी माणिकराम ने दावा किया कि बिजली आपूर्ति ठप रहने से लोगों के यहां लगे सबमर्सिबल पंप व मोटर नहीं चल सके। बिजली आपूर्ति हो रही होती तो शायद आग पर काबू पा लिया जाता। पीड़ित परिवार के यहां भी सबमर्सिबल पंप लगा है।
वहीं क्षेत्र के कुछ लोगों ने घटना के समय बिजली आपूर्ति चालू होने की बात कही है। एसडीओ एसएस कटियार ने बताया कि ग्रामीणों ने एक दिन पूर्व से फेस फाल्ट के चलते बिजली न होने की बात कही है। पड़ोसी अजय पाल ने बताया कि चीख पुकार सुनकर बाहर निकलकर देखा तो आग की तेज लपटें उठ रही थीं। यह देखकर महज तमाशबीन बनकर रह गए।
बिना कनेक्शन भूमिगत केबल से जल रही थी बिजली
पीड़ित परिवार ने बिजली का कनेक्शन नहीं लिया था। घर के करीब पोल से केबल खींचकर लाए थे। इसके बाद घर के बाहर से केबल को भूमिगत तरीके से ले जाया गया था। रूरा सबस्टेशन के एसडीओ ने भी कनेक्शन न होने की पुष्टि की है। मगर, सवाल यही है कि इसकी जांच करने की जिम्मेदारी बिजली विभाग की थी जो उसने नहीं की।
फोरेंसिक टीम को जांच के दौरान भूमिगत केबल बाहर से अंदर तक मिली जिसे खोदकर निकाला गया। केबल को फोरेंसिक टीम अपने साथ लेकर गई है। मकान में बिजली का कनेक्शन न होने के बावजूद घर के अंदर तक भूमिगत केबल डालकर बिजली का उपयोग किया जा रहा था। कब से बिजली का उपयोग हो रहा था इसकी किसी को भी जानकारी नहीं है।
भूमिगत केबल के निशान घर के बाहर से अंदर तक बने थे। जहां काजल के नाम आवास की भूमि है वहां पर बांस-बल्ली पर कनेक्शन ले जाया गया था, लेकिन अभी लाइट नहीं लगाई थी।
केबल में कट मिला, जहां हुआ शार्ट सर्किट
झोपड़ी में गए बिजली के केबल में कट मिला था। इसी कट से बल्ब जलाने के साथ ही मोबाइल चार्ज किया जा रहा था। यहीं शार्ट सर्किट होने से आग लगने की आशंका जताई जा रही है। परिवार रजाई लेकर जमीन पर ही लेटा था। अंदाजा लगाया जा रहा कि रजाई भारी होती है और रुई होने से तेजी से आग पकड़ती है।
रजाई में आग लगने के बाद छप्पर भी जलने लगा। जलता हुआ छप्पर नीचे गिरने से किसी को संभलने का मौका न मिला और न ही बाहर से कोई बचाने के लिए अंदर जा सका। देखते ही देखते पांच लोग जिंदा जल गए।
ताई के यहां सोने से बच गई श्यामा की जिंदगी
झोपड़ी में आग लगने की घटना में किस्मत से सतीश की छोटी बहन श्यामा की जान बच गई। श्यामा पड़ोस में विवाह कार्यक्रम देखने के बाद पारिवारिक ताई के यहां जाकर सो गई थी। इससे वह बाल-बाल बच गई। चीख-पुकार सुनकर आई श्यामा झोपड़ी के साथ अपनों को जिंदा जलते देखकर पिता प्रकाश से लिपट कर बिलख पड़ी। बोली-अब क्या होगा पापा, घर मा कोऊ नाहीं बचो, भैया-भाभी व भतीजे-भतीजी सब आग मा जल गयो।
स्वजन ने बताया कि श्यामा रोज झोपड़ी में ही सोती थी। परिवार के ही छह-सात लोगों की झोपड़ी आसपास ही हैं। मायके में पांच वर्ष से पति संग रह रही नीतू को मनौतियों के बाद बच्चा हुआ था। सोमवार को छठी कार्यक्रम धूमधाम से मनाने के लिए दंपती भी बेहद खुश थे, लेकिन आग ने पल भर में सारी खुशियां जला दीं।
दम घुटने के बाद जलने से हुई मौत
पांचों शवों का पोस्टमार्टम देर शाम तीन डाक्टरों के पैनल ने किया। डा. जेपी सिंह, डा. गोविंद प्रसाद व डा. बोस्की चौरसिया इसमें शामिल रहीं। इस दौरान वीडियोग्राफी भी कराई गई। पोस्टमार्टम में धुएं से पहले दम घुटने व बाद में जलने से मौत की बात सामने आई है। फेफड़ों में कार्बन भरा मिला है। पोस्टमार्टम के बाद शव गांव लाए गए। रात 8:10 बजे खेत पर शवों का अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि प्रकाश ने दी।
मड़ौली में भी छप्पर गिरने से अंदर फंस गई थीं मां-बेटी
एक माह के अंदर एक जैसी घटना जिसने सुनी सबके रोंगटे खड़े हो गए। मड़ौली में 13 फरवरी को हुई घटना का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिख रहा था कि आग लगने के बाद बुलडोजर से छप्पर गिरा दिया गया और मां-बेटी अंदर से निकल नहीं पाईं। बंजारा डेरा में भी आग लगने के बाद छप्पर गिर गया और दंपती और तीन बच्चे बाहर नहीं निकल सके।

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